
सरकार की तुष्टिकरण की नीति से अध्यापक नराज है। वर्षों से अल्प वेत्तन पर कार्य कर रहा अध्यापक आज बराबरी का दर्जा चाहता है। आज भी प्रदेश का शिक्षक एवं अध्यापक मेहनत से एवं पूरी गंभीरता से अध्यापन कार्य करा रहा है उसका परिणाम आपके सामने है। आज 10वीं,12वीं बोर्ड परीक्षाओं का परिणाम प्रायवेट शालाओं से बेहतर है। हम इस बात से पूर्णतः असहमत हैं कि 57% शिक्षक शाला नहीं जाते हैं।
आदरणीय यह भ्रमित जानकारी है। 02 से 05% यह स्तिथि मानी जा सकती है। यह सिर्फ ई अटेंडेंस के लिए बनाई जा रही है। जबकि यह योजना पूर्णतः असफल अव्यावहारिक योजना जिसकी सफलता पर पूर्णतः संदेह है। प्रदेश का अध्यापक शालाओं में पढाना चाहता है। इसका एक ही हल है कि सबसे बड़े वर्ग अध्यापक वर्ग की सारी समस्याओं का एक मुश्त समाधान कर दिया जाए। प्रदेश का अध्यापक शिक्षा विभाग चाहता है। शिक्षा विभाग में संविलियन शत प्रतिशत समस्या का निदान है। आदरणीय मंत्री जी आप अध्यापक संवर्ग का शिक्षा विभाग में संविलियन करा दीजिये ।हम आपसे वादा करते हैं भारत में म.प्र. को शिक्षा के क्षेत्र में सबसे अव्वल हम बना देंगें।
जब तक अध्यापक संवर्ग मानसिक एवं आर्थिक रूप से सक्षम नहीं होगा,समानता का दर्जा उसे प्राप्त नहीं होगा तब तक वह सड़कों पर आंदोलन करता रहेगा। आपसे अध्यापकों को बहुत आशाएं है। शिक्षा विभाग में संविलियन हमारा मुख्य लक्ष्य है।
अशोक कुमार देवराले
प्रांतीय उपाध्यक्ष, प्रांतीय प्रवक्ता
म.प्र.शासकीय अध्यापक संगठन
सदस्य
अध्यापक संयुक्त मोर्चा