दिल्ली Airport पर Manipuri Girl से नस्लभेदी टिप्पणी | Monika Khangembam

नईदिल्ली। मणिपुर की एक युवती ने शनिवार को इंदिरा गांधी हवाईअड्डे पर आव्रजन अधिकारी द्वारा उसके खिलाफ नस्लभेदी टिप्पणी करने का आरोप लगाया है। मोनिका खंगेम्बम ने कहा कि आईजीआई एयरपोर्ट पर दिल्ली से सोल जाने के लिए जब वह आव्रजन डेस्क पर पहुंचीं तो वहां तैनात एक अधिकारी ने उसका पासपोर्ट और चेहरा देखते हुए कहा कि ‘भारतीय तो नहीं लगती हो।’

फेसबुक पर वाकया शेयर किया
मोनिका ने एयरपोर्ट पर पुलिस या किसी अन्य एजेंसी से इसकी शिकायत नहीं की है। उन्होंने बाद में फेसबुक पर जब यह वाकया शेयर किया तब यह मामला सोशल मीडिया के माध्यम से सुर्खियों में आया। उन्होंने लिखा कि वह एक सम्मेलन में भाग लेने के लिए दिल्ली से सोल जा रही थीं। तभी शनिवार को रात लगभग नौ बजे आव्रजन डेस्क पर एक अधिकारी ने उनसे नस्लभेदी टिप्पणी की। अधिकारी ने उसके भारतीय होने पर शक जाहिर ही नहीं किया बल्कि हंसते हुए यह सवाल भी दाग दिया कि भारत में कितने राज्य हैं।

मोनिका ने अधिकारी के इस रवैये को परेशान करने वाला करार दिया। सोल पहुंच मोनिका ने फेसबुक पर इसका जिक्र किया। इस पर उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया में रविवार को लिखा कि आईजीआई एयरपोर्ट पर बीती रात मेरे साथ जो बर्ताव किया गया उसका जिक्र फेसबुक पर करने के बाद उनकी यह पोस्ट खबर बनकर वायरल हो जाएगी, उन्हें इसका बिल्कुल अंदाजा नहीं था। उन्होंने सोशल मीडिया पर उन्हें समर्थन देने वालों का शुक्रिया अदा किया।

मोनिका ने इन शब्दों में अपना दर्द बयां किया
मोनिका ने कहा, ‘अगर वह अधिकारी मुझसे यात्रा और सम्मेलन के बारे में सवाल करता तो मुझे इसका मलाल नहीं होता लेकिन उनके गृहराज्य और नागरिकता पर सवाल उठाना और कुटिल मुस्कान के साथ सवाल पूछना दुखद है।’

इसलिए शिकायत नहीं की
मोनिका ने कहा कि समय का अभाव होने के कारण उन्होंने शिकायत नहीं की। साथ ही यह भी कहा, ‘सच बताऊं तो मुझे यह शक था कि कहीं आव्रजन अधिकारी मेरे वीजा पर मुहर लगाने से इंकार न कर दे। इसलिए उस समय मैंने चुप रहना ही उचित समझा। अभी मैं सोल में हूं। 15 दिन बाद भारत आकर उस अधिकारी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराऊंगी।’

‘चुप रहना हमारी मजबूरी’
मोनिका ने कहा, ‘मैं ही नहीं पूर्वोत्तर के लोगों को इस तरह के बर्ताव का सामना करना पड़ता है। कई बार इस तरह ही गतिविधियों को साबित करना असंभव होने के कारण चुप्पी साधना मजबूरी है। लेकिन इस बार स्थितियां कुछ ऐसी थी कि मुझे बोलना पड़ा। हम ऑटो और रिक्शा वालों से बुरे बर्ताव की बात तो बहुत करते हैं लेकिन हवाईअड्डे पर ऐसे बर्ताव को क्या कहें।’

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