ग्वालियर। कश्मीर में बेकाबू हुए तनाव के कारण अमरनाथ यात्रा पर गए ग्वालियर के एक जत्थे को बेरंग वापस लौटा दिया गया। उन्हे उधमपुर से आगे जाने की अनुमति ही नहीं दी गई। यह पहली बार है जब यात्रा पर गए लोगों को वापस भेजा जा रहा है।
8 जुलाई को दोपहर में अंडमान एक्सप्रेस से ग्वालियर से 51 लोगों का जत्था अमरनाथ यात्रा के लिए रवाना हुआ। अगले दिन ये लोग जम्मू पहुंचे। जम्मू से गाड़ी की और बालटाल के लिए रवाना हुए। कुछ देर बाद जब उधमपुर पहुंचे तो वहां इन्हें रोक दिया गया। यात्रा लेकर गए पन्नालाल गौड़ ने बताया कि उधमपुर में सेना ने सभी वाहन रोक दिए थे। आगे कोई वाहन नहीं जाने दिया जा रहा था। यहां एक बेस कैम्प था, जो पूरा यात्रियों से भरा हुआ था। यहां से हमें वापस कर दिया गया।
लौटते-लौटते रात हो गई तो बेस कैम्प से थोड़ी ही दूर पर हम लोगों ने रात गुजारी। आसपास स्थित लॉज, होटल तलाशे, लेकिन सभी फुल थे। जब हमें पता लगा कि अलगाववादियों ने उपद्रव कर दिया है तो हमारी पूरी रात दहशत में गुजरी। क्योंकि हमारे साथ कुछ महिलाएं भी थीं। रविवार सुबह हम लोग यहां से वापस आए। जम्मू में भी काफी यात्री फंसे हुए हैं। दिनभर हमने इधर-उधर रुककर ही गुजारा।
10 की चीज 100 रुपए में, ठहरने को सड़क का किनारा
उधमपुर में एक दिन तक फंसे रहे कृष्णकांत शर्मा ने बताया कि वहां 10 रुपए की चीज 100 रुपए में मिल रही है। ठहरने के लिए कोई व्यवस्था नहीं, सिर्फ सड़क का किनारा है।
उपद्रवी बोले: वापस जाओ यह तुम्हारा हिंदुस्तान नहीं, हमारा कश्मीर है
अमरनाथ यात्रा से रविवार रात को लौटकर ग्वालियर आए प्रोफेसर संजय पाण्डे ने बताया कि जिस दिन वानी मारा गया। उस दिन हमारे सामने ही करीब दर्जनभर दुकानों, होटलों को आग लगा दी गई। यहां माहौल बहुत खराब था। वहां सेना के जवान आ गए और उन्होंने हमें दूसरे रास्ते से निकाला। इसके बाद जब हम क्षीर-भवानी मंदिर पहुंचे तो यहां भी माहौल बहुत खराब था। यहां कुछ कश्मीरी लड़के हमारे समूह से बोलने लगे कि वापस लौट जाओ। यह हिंदुस्तान नहीं, हमारा कश्मीर है। इसके बाद हम लोग वहां के माहौल को देखकर वापस लौट आए।