
जबलपुर मप्र से वहां फंसे रत्नेश जाट ने बताया कि 8 तारीख को गुफा से दर्शन के बाद दल के जतिन सोनकर, राजू गुप्ता, सुमित जाट, राजैन्द्र चक्रवर्ती, अभिषेक तिवारी, विपिन कोरी, सनी राजपूत बालटाल वापस आए लेकिन जैसे ही बालटाल पहुंचे तो वहां हजारों की संख्या में मौजूद यात्रियों की आवाजाही को रोक दिया। पिछले तीन दिनों से जीप में रात और दिन बिताने वाले दल को आगे बढ़ने नहीं दिया जा रहा है। आर्मी और सीआरपीएफ के जवान भी कुछ बताने लायक स्थिति में नहीं है। हजारों यात्री 8 तारीख से बालटाल में फंसे हुए हैं। यहां पैर रखने लायक जगह भी नहीं बची है। जो जहां है, बस वहीं डटा हुआ है।
लंगर बंद होते जा रहे, महंगा बेच रहे सामान
बालटाल में फंसे यात्रियों की मदद सिर्फ लंगर वाले ही करते हैं। लेकिन वहां लंगर के पास भी भोजन सामग्री नहीं बची। अधिकांश लंगर बंद होते जा रहे हैं।
एक पानी की बोतल के लिए यात्रियों से 50 से 70 रुपए तक वसूले जा रहे हैं।
मैगी का 10 रुपए का पैकेट 70 से 80 रुपए में खरीदना पड़ रहा है।
क्षेत्रीय निवासियों के लगने वाले टेंट में रात बिताने के लिए 500 से 1 हजार रुपए तक मांगे जा रहे हैं।
नहाने की गर्म पानी वाली एक बाल्टी के लिए 100 रुपए में मिल रही है।