कोलकाता। यह मस्जिद पूरे देश के लिए एक उदाहरण है जिसके संरक्षक मुस्लिम नहीं हिंदू ट्रस्टी है। इस मस्जिद का रख-रखाव एक हिंदू ट्रस्ट करता है। बंगाली बाबर मस्जिद कोलकाता स्थित मार्बल पैलेस के दक्षिणी हिस्से में है। यह मस्जिद 1835 में 181 साल पहले जोरासांको में मलिक द्वारा बनाया गया था।
इस पैलेस के चारों ओर का पूरा एस्टेट और मस्जिद का रख-रखाव देबोत्तर ट्रस्ट के द्वारा किया जाता है। इस ट्रस्ट का निर्माण मलिक ने ही किया था। यह ट्रस्ट भगवान जगन्नाथ का है। पैलेस के प्रांगण व मस्जिद की रख-रखाव का पैसा ट्रस्ट से आता है। देश का यह एकमात्र ऐसा मस्जिद है जिसकी देखभाल हिंदू ट्रस्ट करता है। हरे रंग के गुंबद वाले इस मस्जिद का पुन:निर्माण हाल में ही पुरातत्वविदों ने कराया था।
राजेन मलिक की मां हीरामोनी दाशी ने सपने में दरवाजे के बाहर छोटी सी टोकरी में जगन्नाथ भगवान इंतजार करते देखा जो कह रहे थे कि उन्हें अंदर आने दिया जाए। मां हीरामोनी ने बेटे को पैलेस में भगवान जगन्नाथ का मंदिर बनाने को कहा और इसके लिए देबोत्तर ट्रस्ट का भी निर्माण हुआ। यह काम तुरंत हुआ। यहां केवल जगन्नाथ की मूर्ति रखी गयी और उनकी ही पूजा की जाती है। उनके साथ बलराम और सुभद्रा नहीं हैं क्योंकि वो अकेले ही हीरोमनी के सपने में आए थे। पुरी की परंपरा को जीवित रखते हुए यहां रथयात्रा आयोजित होती है और पारंपरिक 56 भोग भी लगाए जाते हैं। यहां ओडिशा के पंडितों को भी रखा गया है। बुधवार को यह यात्रा पूरी की गयी और गुरुवार को यह फंड मस्जिद में ईद के लिए दे दिया गया ताकि मिठाईयां खरीदी जाए और मुस्लिम श्रद्धालुओं के बीच ईद की नमाज के बाद बांटा जाए।
कैंपस के दोनों कोनों पर एक दूसरे के विपरीत मंदिर और मस्जिद बने हुए हैं। वहां मुस्लिमों की अधिकतम संख्या को देखते हुए मलिक ने मस्जिद का निर्माण कराया था और इसका संरक्षक भी ट्रस्ट को बना दिया था।
प्रतिदिन अजान देने वाले हाफिज मोहम्मद हनीफ बचपन से ही इस मस्जिद से जुड़े हैं क्योंकि उनके पिता मोरान मियां इसी एस्टेट के कर्मचारी थे। ट्रस्टी ब्रातिन मलिक ने कहा, 'हमारे प्रांगण में मस्जिद है, और इसका प्रवेश द्वार अलग है ताकि मुस्लिम श्रद्धालु जब चाहे बिना हमारे अहाते में प्रवेश किए ही आ सकें।' आज भी मस्जिद को महत्वपूर्ण दर्जा प्राप्त है, और यहां नमाज अदा करने वाले मौलवी को ट्रस्ट की ओर से वेतन दिया जाता है।