नईदिल्ली। बेवजह भारत की एनएसजी सदस्यता में रोढ़े अटकाने वाले चीन को अमेरिकी कांग्रेस ने सलाह दी है कि दोस्ती के लिए त्याग करना भारत से सीखो। वो अंतर्राष्ट्रीय विवादों का निपटाने के लिए और अपने पड़ौसी देशों से संबंध बनाने के लिए कितना बेहतर है। चीन इन दिनों विवादित दक्षिण चीन सागर को लेकर खुद परेशान है। यूएस ने कहा है कि भारत ने अपने पड़ोसी देशों के साथ जिस तरह समुद्री विवादों का निपटारा किया, चीन को भी सीखना चाहिए।
दक्षिण चीन सागर को लेकर चीन का वियतनाम, फिलीपींस, ताइवान और अन्य कई देशों के साथ विवाद चल रहा है। इसी विवाद पर एक अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता ट्रिब्यूनल का अगले हफ्ते फैसला आने वाला है।
अमेरिकी कांग्रेस में हुआ जिक्र
पूर्वी एशिया के लिए रक्षा मामलों के अमेरिका के डिप्टी असिस्टेंट सेक्रटरी अब्राहम डेनमार्क ने अमेरिकी कांग्रेस में कहा, 'फिलीपींस ने पूरे दक्षिण चीन सागर पर चीन के दावे के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। चीन ने इस कोर्ट के अधिकार क्षेत्र को लेकर अस्वीकार और असहयोग का रवैया अपना रखा है।
भारत ने फैसले पर किया था अमल
उन्होंने आगे कहा, 'साल 2014 में, स्थाई मध्यस्थता कोर्ट ने करीब 30 साल पुराने एक समुद्री विवाद मामले में भारत के खिलाफ और बांग्लादेश के पक्ष में फैसला सुनाया था। भारत ने इस फैसले को स्वीकार किया और उसका पालन भी किया। भारत ने तब माना कि इस मामले का समाधान होने से आपसी समझ और दोनों देशों के बीच मित्रता में बढ़ोतरी होगी। यह एक ऐसा उदाहरण है जिसका अनुसरण करने की हम चीन से भी चाहत रखते हैं। गौरतलब है कि यही मध्यस्थता अदालत अब दक्षिण चीन सागर पर भी फैसला देने वाला है।