भोपाल। मप्र के गृहमंत्री बाबूलाल गौर को फार्मूला 75 के तहत मंत्रीमण्डल से बाहर तो कर दिया गया लेकिन अब मप्र भाजपा के कर्ताधर्ताओं के हाथ पांव फूल रहे हैं, क्योंकि बाबूलाल गौर भोपाल के वो नेता हैं, जिनकी हड्डियों में अभी भी दम है, और जिनके पीछे समर्थकों की लम्बी भीड़ कम नहीं है। वो बाबूलाल गौर के संभावित अगले कदम पर नजर बनाए हुए हैं। श्री गौर का कहना है कि 4-5 में वो अपनी नई भूमिका के विषय में बता देंगे।
मंत्रिमंडल से निकाले गए पूर्व गृहमंत्री बाबूलाल गौर ने पहला हमला ब्रांड शिवराज पर किया है। उनका कहना है कि विकास तो जमीन पर दिखना चाहिए यहां विज्ञापन में दिख रहा है। अपना दर्द बयां करते हुए उन्होने कहा कि कहा-सभी को बुरा लगा, मेरे क्षेत्र के लोग भी दुखी हैं। अधिकार छीन लेते, बिना विभाग का मंत्री कर देते, लेकिन इस तरह सम्मान पर चोट नहीं करना चाहिए थी। पुरानी नींव पर नया निर्माण हो, पर बुनियाद नहीं हिलाई जाती।
याद दिला दें कि बाबूलाल गौर एक ऐसे विधायक हैं जो भोपाल में सर्वाधिक लोकप्रिय नेताओं में शामिल हैं। उनके पीछे आज भी बड़ी भीड़ खड़ी है। यदि वो इस्तीफा दे देते हैं और विरोध में आकर खड़े हो जाते हैं तो यह उनका व्यक्तिगत प्रभाव होगा कि खुद शिवराज सिंह चौहान भी उनकी सीट जीत नहीं पाएंगे। जनता से उनका लगाव और व्यक्तिगत संपर्क सबसे तगड़ा है। श्री गौर जाति से यादव हैं और सपा के मुखिया मुलायम सिंह यादव के रिश्तेदार भी हैं। कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि मप्र में सपा की पूरी बागडोर उन्हें सौंपी जा सकती है। यदि वो इसके लिए राजी हो गए तो यह मप्र की तीसरी सबसे बड़ी और ताकतवर पार्टी बन जाएगी।
कांग्रेस ने भी बाबूलाल गौर को इशारा कर दिया है। राजनीतिक पंडित कहते हैं कि श्री गौर कभी कांग्रेस का रुख नहीं करेंगे परंतु राजनीति में परिस्थितियां कभी भी बदल सकतीं हैं। कांग्रेस का एक बड़ा वर्ग यह शिद्दत से चाहता है कि बाबूलाल गौर जैसा नेता कांग्रेस में हो। जिससे भोपाल में कांग्रेस मजबूत हो जाए।