भोपाल। बवाल मचने के बाद नगरनिगम द्वारा भोपाल में बनाए जा रहे अत्याधुनिक कत्लखाने का काम फिलहाल रोक दिया गया है। सरकार आगामी 1 माह तक इंतजार करेगी, यदि विरोध बढ़ता है तो कत्लखाने का स्वरुप छोटा कर दिया जाएगा, नहीं तो 500 जानवर रोज काटने की तैयारियों पर काम शुरू हो जाएगा। याद दिला दें कि नगर निगम भोपाल के महापौर आलोक शर्मा हैं, जिनके चुनाव प्रचार के समय शिवराज सिंह ने नुक्कड़ सभाओं में कहा था कि निगम के हर काम में रुचि लूंगा, भोपाल के लिए जान भी हाजिर है।
एनजीटी की आढ़ में शुरू हुआ प्रोजेक्ट
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने शहर के बीच पुल बोगदा स्थित स्लाटर हाउस को शिफ्ट करने के आदेश दिए थे। इसके लिए एनजीटी ने 30 जून 2016 तक का समय निर्धारित किया था। बस इसी आदेश की आढ़ में नगर निगम ने 60 जानवरों वाले स्लाटर हाउस को बदलकर 500 जानवर वाला अत्याधुनिक कत्लखाना कर दिया।
समस्या क्या थी
पुल बोगदा अब भीड़भाड़ वाला इलाका हो गया है। यहां से प्रतिदिन हजारों शाकाहारी भी गुजरते हैं। ऐसे में स्लाटर हाउस की गंदगी और बदबू उन्हें प्रताड़ित करती है। इसी को लेकर शिकायत की गई थी कि स्लाटर हाउस को किसी ऐसे स्थान पर शिफ्ट किया जाए जहां आम नागरिकों की आवाजाही ना हो।
मांस व्यापारी भी विरोध में
इस अत्याधुनिक कत्लखाने का विरोध भोपाल के मांस व्यापारी भी कर रहे हैं। उनका कहना है कि भोपाल में 60 जानवरों से ज्यादा की डिमांड नहीं है। ऐसे में 500 जानवरों की क्षमता वाले कत्लखाने की जरूरत ही नहीं है। बस स्लाटर हाउस को शिफ्ट करना है। उसे भव्य रूप देने की क्या जरूरत है।
अब मांगा 3 माह का समय
एनजीटी के आदेश के बाद नगर निगम ने अत्याधुनिक कत्लखाने के लिए निविदा जारी कर दी थी। ठेकेदार का चयन भी कर लिया गया था कि तभी भोपाल समाचार डॉट कॉम ने इस मामले को उजागर कर दिया और बवाल मच गया। इसके चलते ठेकेदार को वर्कआॅर्डर जारी नहीं किया गया। अब नगर निगम ने एनजीटी से 3 माह का समय मांगा है।
राजनीति क्या है
भाजपा के दिग्गज अगले 1 माह तक इस मामले में आम जनता की ओर से आ रहीं प्रतिक्रियाओं पर नजर रखेंगे। यदि उन्हे लगता है कि विरोध तीव्र हो रहा है तो योजना बदल दी जाएगी लेकिन यदि उन्हे महसूस हुआ कि जनता मामले को भूल गई है तो वर्क आर्डर जारी कर काम शुरू कर दिया जाएगा।