भोपाल। कांग्रेस से दलबदलकर आए अरबपति विधायक संजय पाठक का नाम मंत्रीमंडल की उस लिस्ट में था ही नहीं जो दिल्ली से अप्रूव होकर आई थी। ताई भाई विवाद के बाद फाइनली हाईकमान के पास जो लिस्ट गई उसमें भी संजय पाठक का नाम नहीं था। दिल्ली को पता ही नहीं था, यहां सीएम शिवराज सिंह ने चोरी चोरी संजय पाठक को मंत्री बना दिया। अब संघ भी शिवराज से नाराज हो गया है।
शुक्रवार को इस मुद्दे पर दिनभर सियासत गर्माई रही। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत और प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान का अचानक राजधानी स्थित संघ कार्यालय 'शारदा विहार" पहुंचे। संघ के सूत्रों का कहना है कि क्षेत्र प्रचारक अरुण जैन सहित अन्य वरिष्ठ पदाधिकारियों ने पाठक को कैबिनेट में लेने पर आपत्ति दर्ज कराई। साथ ही हर्ष सिंह, विश्वास सारंग एवं सूर्यप्रकाश मीना को भी राज्यमंत्री बनाने की सफाई मांगी गई। शुक्रवार सुबह प्रदेश अध्यक्ष चौहान एवं संगठन महामंत्री भगत ने शारदा विहार जाकर क्षेत्र प्रचारक से लंबी चर्चा की। चर्चा इसी मुद्दे पर केंद्रित रही।
तीन घंटे तक संघ को सफाई देते रहे शिवराज
कैबिनेट की बैठक के तुरंत बाद मुख्यमंत्री चौहान भी सीधे संघ पदाधिकारियों से मिलने शारदा विहार पहुंचे। क्षेत्र प्रचारक जैन से उनकी तीन घंटे तक चर्चा हुई। इस दौरान मंत्रिमंडल विस्तार के अलावा विभाग वितरण पर भी मंथन हुआ। समिधा जाने के लिए सीएम बिना कारकेड के रवाना हुए, ताकि मीडिया को भनक न लग सके। बताया जाता है कि संजय पाठक के मामले में संघ ने नाखुशी दर्ज करा दी है। दिल्ली में भी ये मुद्दा गर्माया रहा। प्रदेश प्रभारी डॉ. विनय सहस्रबुद्धे से जब इस मुद्दे पर बात की तो उन्होंने प्रतिक्रिया देने से इंकार कर दिया।
मेनन के वायदे को शिवराज ने निभाया
भाजपा के एक बड़े पदाधिकारी ने अनौपचारिक चर्चा में स्वीकार किया कि पाठक को मंत्री बनाने से सवाल तो उठने लगे हैं। इससे पार्टी के भीतर एवं जनता के बीच अच्छा संदेश नहीं गया। इससे संघ में भी नाराजी झलक रही है, लेकिन उन्होंने तर्क दिया कि पाठक को भाजपा में शामिल करते वक्त आश्वासन दिया गया था कि मंत्री बनाएंगे। इसलिए वायदे का ये बोझ पार्टी उठा रही है, अभी इसे निभाएंगे। लेकिन आगे इसकी समीक्षा होगी। याद दिला दें कि संजय पाठक को भाजपा में लाने के लिए अरविंद मेनन बड़े उतावले हुए थे। उन्होंने ही संजय पाठक को कांग्रेस के खिलाफ बरगलाया और मंत्रीपद का लालच दिया।
शुक्रवार को इस मुद्दे पर दिनभर सियासत गर्माई रही। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत और प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान का अचानक राजधानी स्थित संघ कार्यालय 'शारदा विहार" पहुंचे। संघ के सूत्रों का कहना है कि क्षेत्र प्रचारक अरुण जैन सहित अन्य वरिष्ठ पदाधिकारियों ने पाठक को कैबिनेट में लेने पर आपत्ति दर्ज कराई। साथ ही हर्ष सिंह, विश्वास सारंग एवं सूर्यप्रकाश मीना को भी राज्यमंत्री बनाने की सफाई मांगी गई। शुक्रवार सुबह प्रदेश अध्यक्ष चौहान एवं संगठन महामंत्री भगत ने शारदा विहार जाकर क्षेत्र प्रचारक से लंबी चर्चा की। चर्चा इसी मुद्दे पर केंद्रित रही।
तीन घंटे तक संघ को सफाई देते रहे शिवराज
कैबिनेट की बैठक के तुरंत बाद मुख्यमंत्री चौहान भी सीधे संघ पदाधिकारियों से मिलने शारदा विहार पहुंचे। क्षेत्र प्रचारक जैन से उनकी तीन घंटे तक चर्चा हुई। इस दौरान मंत्रिमंडल विस्तार के अलावा विभाग वितरण पर भी मंथन हुआ। समिधा जाने के लिए सीएम बिना कारकेड के रवाना हुए, ताकि मीडिया को भनक न लग सके। बताया जाता है कि संजय पाठक के मामले में संघ ने नाखुशी दर्ज करा दी है। दिल्ली में भी ये मुद्दा गर्माया रहा। प्रदेश प्रभारी डॉ. विनय सहस्रबुद्धे से जब इस मुद्दे पर बात की तो उन्होंने प्रतिक्रिया देने से इंकार कर दिया।
मेनन के वायदे को शिवराज ने निभाया
भाजपा के एक बड़े पदाधिकारी ने अनौपचारिक चर्चा में स्वीकार किया कि पाठक को मंत्री बनाने से सवाल तो उठने लगे हैं। इससे पार्टी के भीतर एवं जनता के बीच अच्छा संदेश नहीं गया। इससे संघ में भी नाराजी झलक रही है, लेकिन उन्होंने तर्क दिया कि पाठक को भाजपा में शामिल करते वक्त आश्वासन दिया गया था कि मंत्री बनाएंगे। इसलिए वायदे का ये बोझ पार्टी उठा रही है, अभी इसे निभाएंगे। लेकिन आगे इसकी समीक्षा होगी। याद दिला दें कि संजय पाठक को भाजपा में लाने के लिए अरविंद मेनन बड़े उतावले हुए थे। उन्होंने ही संजय पाठक को कांग्रेस के खिलाफ बरगलाया और मंत्रीपद का लालच दिया।