![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg7yomq7nS9cAn3v_Glsl0X6GiNrJUt3c4QFeCaViKCm4c4q8dE7xygSH_JyX6W-Q8CYRRzMyTxr-uLbfLdKBocE8aHtmWC6kRE5_RkNDIMn3Ky7I2-a6R1bymmck06TKszy7QWBJ_eq50/s1600/55.png)
नंदकुमार सिंह चौहान का मानना है कि गौर अनुशासन की लक्ष्मण रेखा को पार कर रहे हैं। संगठन नेताओं ने प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे से भी चर्चा की है। सूत्रों के मुताबिक गौर के पिछले एक पखवाड़े के बयानों और अखबारों की कटिंग सहस्त्रबुद्धे के अलावा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और संगठन महामंत्री रामलाल को भेजी गई है। समझा जा रहा है कि इस मामले में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से चर्चा के बाद कोई निष्कर्ष जल्द ही सामने आएगा।
इधर, राजनीति के मंझे खिलाड़ी माने जाने वाले बाबूलाल गौर के तीखे तेवरों को तुरुप चाल समझा जा रहा है। यूपी चुनाव से पहले जातिगत समीकरणों पर अपने महत्व को पार्टी के सामने सिद्ध करके गौर अपने समाज (यादव) होने का लाभ लेने की कोशिश कर रहे हैं।