राकेश दुबे@प्रतिदिन। चीन ने यह जाहिर कर दिया है कि वह दक्षिण चीन सागर के बारे में संयुक्त राष्ट्र ट्रिब्यूनल का फैसला नहीं मानेगा। ट्रिब्यूनल ने घोषणा की है कि 12 जुलाई को वह अपना फैसला सुनाएगा। यह लगभग तय है कि फैसला चीन के पक्ष में नहीं आएगा, इसलिए काफी पहले से उसने अपनी मोर्चाबंदी शुरू कर दी है। दक्षिण चीन सागर में सीमाओं को लेकर फिलीपींस ने चीन के खिलाफ सन 2013 में मामला दायर किया था, लेकिन चीन ने लगातार इस मामले में मध्यस्थता अदालत की भूमिका का विरोध किया। चीन का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय कानूनों के आधार पर सीमा-विवाद में किसी अंतरराष्ट्रीय अदालत को कोई फैसला सुनाने का हक नहीं है। अपने पक्ष में चीन ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचार अभियान भी चलाया है और कई देशों से समर्थन भी मांगा है, हालांकि उसके पक्ष में ज्यादा समर्थन जुट नहीं पाया है। दक्षिण एशियाई देशों में लाओस और कंबोडिया चीन के पक्ष में झुके हुए दिखते हैं और बड़ी ताकतों में रूस ने चीन के इस रुख का समर्थन किया है कि सीमा विवाद द्विपक्षीय बातचीत से ही सुलझाए जाने चाहिए।
दक्षिण चीन सागर एक छोटा समुद्री क्षेत्र है, जो चीन की दक्षिण पूर्वी सीमा से जुड़ा है। यह समुद्र इंडोनेशिया, फिलीपींस, कंबोडिया, सिंगापुर, वियतनाम आदि कई देशों से भी जुड़ा है, जिनके साथ चीन का सीमा विवाद चल रहा है। पिछले दिनों चीन और इन आसियान देशों के विदेश मंत्रियों के बीच लंबी वार्ता हुई, जो बेनतीजा साबित हुई। वार्ता के बाद आसियान विदेश मंत्रियों ने पहले चीन के खिलाफ एक साझा बयान जारी किया और फिर संभवत: कंबोडिया के दबाव के बाद उसे वापस ले लिया। दक्षिण चीन सागर चीन व अन्य देशों के लिए पश्चिमी प्रशांत महासागर का प्रवेश द्वार है। इसका सामरिक और आर्थिक महत्व तो है ही, यह भी माना जा रहा है कि इसके तल में तेल के बड़े भंडार हैं। फिलीपींस और चीन के बीच झगड़े की जड़ इसके कुछ छोटे-छोटे द्वीप और कुछ उथली सतहें हैं।
अंतरराष्ट्रीय अदालत का कहना है कि वह सीमा विवाद नहीं हल करेगी। संभावना यह है कि अदालत यह फैसला सुनाएगी कि चीन जिन कथित द्वीपों पर दावा कर रहा है, वे सचमुच द्वीप हैं या समुद्र की उथली सतहें। अदालत का फैसला संभवत: यह होगा कि वे द्वीप नहीं हैं, इसलिए चीन उन पर और उनके आसपास के समुद्र पर दावा नहीं कर सकता। चीन इस फैसले को नहीं मानेगा, इसलिए विवाद वहीं का वहीं रहेगा। यह भी तय है कि चीन दक्षिण चीन सागर के बड़े हिस्सों पर आक्रामक ढंग से कब्जा बढ़ाता रहेगा और यह समुद्र अशांत बना रहेगा।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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