मप्र में स्थायी लोकायुक्त क्यों नहीं: हाईकोर्ट ने पूछा

जबलपुर। मध्यप्रदेश में स्थायी लोकायुक्त की नियुक्ति की दिशा में ठोस प्रयास नदारद होने के रवैये पर हाईकोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव व प्रमुख सचिव सामान्य प्रशासन विभाग को नोटिस जारी कर जवाब-तलब कर लिया है।

गुरुवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन व जस्टिस अनुराग कुमार श्रीवास्तव की युगलपीठ में मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान जनहित याचिकाकर्ता राजधानी भोपाल निवासी सामाजिक कार्यकर्ता व आरटीआई एक्टिविस्ट अजय दुबे की ओर से अधिवक्ता राजेश चंद ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि 28 जून को राज्य के लोकायुक्त सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड न्यायमूर्ति पीपी नावलेकर का कार्यकाल समाप्त हो गया। वे मूल कार्यकाल के अलावा बढ़े हुए कार्यकाल में भी कार्य करके निवृत्त हुए हैं। इसके बावजूद राज्य शासन ने नए लोकायुक्त की नियुक्ति की दिशा में समुचित प्रयास नहीं किए। इसीलिए यह जनहित याचिका दायर की गई। इससे पूर्व आरटीआई के जरिए विधिवत जानकारियां भी हासिल की गईं।

बहस के दौरान बताया गया कि पूर्व में हाईकोर्ट ने जनहित याचिका में शामिल उस बिन्दु को अलग करने संशोधन की अनुमति दी थी, जिसके तहत योग्य उम्मीदवारों की सूची पर विशेष जोर दिया गया था। हाईकोर्ट के निर्देश का पालन करते हुए अपेक्षित संशोधन कर दिया गया। हाईकोर्ट ने तदाशय की अर्जी मंजूर भी कर ली। इसी दौरान एक अच्छा संकेत आनन-फानन में उप लोकायुक्त का दो साल से रिक्त पद हाईकोर्ट के जस्टिस यूसी माहेश्वरी के जरिए भर लिए जाने की शक्ल में देखने को मिला। इससे कम से कम स्थायी लोकायुक्त के अभाव में उपलोकायुक्त कामकाज संभाल लेंगे। हालांकि इतने भर से कामकाज पूरी तरह पटरी पर आने से रहा। ऐसा इसलिए क्योंकि स्थायी लोकायुक्त एक बड़ी आवश्यकता है। यह एक संवैधानिक पद है, जिसे हर हाल में अविलंब भरा जाना चाहिए। हाईकोर्ट ने बहस पर गौर करने के बाद राज्य शासन से स्टेटस रिपोर्ट तलब कर ली।

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