
2011 की जनगणना के मुताबिक भारत में शहरीकरण की वृद्धि दर 31.16 प्रतिशत थी| इससे यह साफ हो जाता है कि देश में शहरीकरण की गति धीमी रही है| आजादी के बाद 1951 में हमारी शहरी आबादी सिर्फ 17 प्रतिशत थी. इस तरह अबतक देश में शहरीकरण दो प्रतिशत प्रति दशक की दर से बढ़ा है| इसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि तीस साल बाद देश में शहरी आबादी में 60 फीसद से भी अधिक की बढ़ोतरी हो सकती है| भारत में स्व-शासन की व्यवस्था बहुत पुरानी है| इस चुनौती का सामना करने के लिए शहरों में बुनियादी सुविधाओं को और मजबूत बनाना होगा, सीवेज सिस्टम और ट्रीटमेंट सिस्टम को मजबूत करना होगा और स्थानीय निकाय के चुने हुए प्रतिनिधियों के साथ जनता को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी, तभी जाकर शहरीकरण की व्यवस्था बेहतर बनाई जा सकती है|
भले शहरीकरण की वृद्धि दर धीमी रही हो लेकिन शहरीकरण में वृद्धि तो हुई और इसके पीछे आबादी में वृद्धि और देश के सुदूर ग्रामीण अंचलों में बुनियादी सुविधाओं तथा रोजगार का अभाव वह अहम् कारण रहा, जिसके चलते गांवों से शहरों की ओर पलायन बढ़ा | इसी कारण दुनिया के अच्छे देशों की सूची में भारत फिसड्डी हैं |. 'दि गुड कंट्री इंडेक्स-2015' नामक सूची में शामिल दुनिया के 163 देशों में भारत को 70वें स्थान पर और स्वीडन को दुनिया का सबसे अच्छा देश करार दिया गया है. यह सव्रे किसी मुल्क में मिलने वाली मूलभूत सुविधाएं, लोगों का जीवन स्तर, विज्ञान, तकनीक, संस्कृति, इंटरनेशनल पीस एंड सिक्योरिटी, र्वल्ड ऑर्डर, प्लेनेट एंड क्लाइमेट, ऐर्य, समानता, स्वास्थ्य आदि जैसे विषयों को ध्यान में रख किया गया था|इसके अलावा 163 देशों के विभिन्न क्षेत्रों में वैश्विक योगदान को भी परखा गया. विडम्बना है कि इसमें कुल 35 मानकों के आधार पर दुनिया के सबसे अच्छे देशों की तैयार की गई टॉप टेन मुल्कों की सूची में कोई भी एशियाई देश जगह नहीं बना पाया. स्वास्थ्य पर खर्च में भारत नेपाल से भी पिछड़ा है|
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क 9425022703
rakeshdubeyrsa@gmail.com
पूर्व में प्रकाशित लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए