सुधीर ताम्रकार/बालाघाट। जल स्त्रोतों को सरंक्षित किये जाने हेतु प्रदेश शासन की ओर से जारी निर्देश में स्पष्ट किया गया है कि किसी भी तालाब के फिर चाहे वह निजी ही क्यों ना हो मूल स्वरूप से छेडछाड नही की जा सकती ना ही उन्हें पूरा जा सकता है। निर्देश में यह भी कहा गया है कि तालाबों के मूल स्वरूप से छेडछाड करने एवं तालाबों के पूरने के मामले में दोषी व्यक्तियों के विरूद्ध कठोर कार्यवाही की जाये। यह भी कहा गया है कि ऐसे मामले प्रकाश में आने पर निजी तालाबों का मद परिवर्तित कर उसे शासकीय घोषित कर दिया जायेगा।
शासन के इन दिशा निर्देशों के अनुरूप तालाबों के सरंक्षण किये जाने की दिशा में जबलपुर के कलेक्टर महेशचन्द्र चौधरी ने जबलपुर के मास्टर प्लान में शामिल 38 तालाबों की भूमि के खरीद फरोख्त पर रोक लगा दी है। उन्होने जिला पंजीयक को निर्देश दिये है कि ऐसे तालाबों की भूमि के क्रय विक्रय के दस्तावेजों का किसी भी स्थिति में पंजीयन ना किया जाये।
उन्होने नागरिकों से भी अनुरोध करते हुये कहा है कि तालाबों की भूमि क्रय ना करे और धोखाधडी का शिकार होने से बचे। यह उल्लेखनीय है की बालाघाट जिले में भी कटंगी, वारासिवनी एवं बालाघाट और लांजी सहित अन्य क्षेत्रों में स्थित शासकीय तालाब की भूमि पर अतिक्रमण कर पक्के निर्माण कार्य लिये गये है जिसके कारण तालाब केे जल भराव क्षेत्र में कमी आई है और तालाब का रकबा कम हो गया है।
कलेक्टर बालाघाट के न्यायालय में देवी तालाब बालाघाट तथा वारासिवनी के शंकर तालाब में किये गये अतिक्रमण के संबंध में सुनवाई जारी है इन तालाबों के संबंध में माननीय हाईकोर्ट एवं एनजीटी ने तालाब में किये गये अतिक्रमण को हटाकर उसके मूल स्वरूप में लाये जाने के निर्देश दिये है।
एनजीटी द्वारा तालाबों के सरंक्षण किये जाने के आदेश के परिपेक्ष्य में प्रदेश शासन द्वारा कलेक्टरों को जारी निर्देशों का कडाई से पालन किया जाना चाहिये ताकि तालाबों पर किये जाने वाले अतिक्रमण और उनके मूलस्वरूप में की रही छेडछाड पर अंकूश लगेगा।