भोपाल। जमानत पर छोड़ी गई कमला नेहरू गर्ल्स हॉस्टल की तीनों छात्राओं को शुक्रवार को बल पूर्वक हॉस्टल से बाहर कर दिया गया। तीनों छात्राओं को हटाने में पांच घंटे से ज्यादा का वक्त लगा। छात्राओं को हटाने से पहले जिला प्रशासन के अफसरों ने पंचनामा बनाया। इसके बाद कमरों में रखे सामान को निकालने की कार्रवाई की गई। इस बीच छात्राओं ने जमकर हंगामा भी किया।
एडीएम दिशा नागवंशी को छात्राओं ने फोन कर तीनों छात्राओं को हॉस्टल से हटाने की बात कही थी। मामले की गंभीरता को देखते हुए एडीएम नागवंशी ने वार्डन को छात्राओं को हटाने के लिए कहां था। लेकिन, वार्डन द्वारा कार्रवाई नहीं किए जाने पर एडीएम ने पुलिस बल भेजकर हॉस्टल से तीनों छात्राओं को बाहर निकलवाया। साथ ही अवैध रूप से हॉस्टल में रहने वाली 30 छात्राओं को दो दिन के भीतर हटा दिया जाएगा।
न लालच और न ही वार्डन पर दबाव
जांच में सामने आया है कि जो लड़कियां अवैध रूप से रह रही थीं वे न तो वार्डन को अलग से पैसा देती थीं और न ही वार्डन पर उन्हें रखने का कोई दबाव था। इसे लेकर एडीएम व एसडीएम ने अलग-अलग लड़कियों से चर्चा की। किसी भी लड़की ने इस संबंध में न तो कभी कहीं कोई शिकायत की और न ही आरोपों की पुष्टि की।
अवैध रूप से ऐसे रहने लगती हैं लड़कियां
हॉस्टल के एक कमरे में चार लड़कियों के रहने की व्यवस्था होती है। इनको खाना, रहना और अन्य सुविधाएं मुफ्त मिलती हैं। इसके चलते लड़कियां गांव से अपनी बहन और अन्य रिश्तेदारों को बुला लेती हैं। इससे कई बार एक कमरे में लड़कियों की संख्या 6 हो जाती है। इसका कोई भी रिकॉर्ड रजिस्टर्ड में भी दर्ज नहीं होता।
इस आधार पर मिलता है लड़कियों को प्रवेश
ग्रेजुएशन करने वाली लड़कियों को तीन साल व यूजी-पीजी साथ में करने वाली छात्रा को पांच साल के लिए प्रवेश मिलता है। लड़कियों के आने-जाने का रिकॉर्ड मेंटेन करने की जिम्मेदारी वार्डन की होती है। इसकी रिपार्ट आदिम जाति विकास सहायक आयुक्त एनके अवस्थी को जाती है।