नईदिल्ली। मोदी सरकार लगातार आम आदमी को सीधे प्रभावित करने वाले फैसले ले रही है। पेट्रोल/डीजल पर बेतहाशा टैक्स थोपने के बाद अब सरकार ने केरोसिन के दाम बढ़ाने की तैयारी कर ली है। अब हर महीने केरोसिन के दाम बढ़ा दिए जाएंगे। शुरूआत में 25 पैसे प्रतिमाह होंगे, इसके बाद क्या होगा, शायद यह बताने की जरूरत नहीं।
पिछले पांच साल में इसमें यह पहली वृद्धि है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘पेट्रोलियम मंत्रालय ने तेल विपणन कंपनियों को संदेश प्रेषित कर दिया है कि वे अप्रैल 2017 तक प्रति माह केरोसिन तेल की कीमत में 25 पैसे की वृद्धि कर सकती हैं।’ पहली वृद्धि को तेल कंपनियों द्वारा अधिसूचित कर दिया गया है लेकिन सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिए बेची जाने वाले केरोसिन तेल की कीमतों में यह अभी परिलक्षित नहीं हुई है।
मूल्य वृद्धि से पहले दिल्ली में केरोसिन का दाम 14.96 रुपए प्रति लीटर था। इससे पहले जून 2011 में इसकी कीमत में 2.64 रुपए प्रति लीटर की वृद्धि की गई थी। इससे पहले जून 2010 में इसका दाम 3.23 रुपए प्रति लीटर बढ़ाया गया था। अधिकारियों ने कहा कि पीडीएस के जरिए बिकने वाले केरोसिन की 14.96 रुपए प्रति लीटर की कीमत इस ईंधन की वास्तविक लागत से 13.12 रुपए प्रति लीटर कम है। यानी दूसरे शब्दों में राशन की दुकानों पर बिकने वाले केरोसिन पर 13.12 रुपए प्रति लीटर की सब्सिडी दी जाती है। इस रियायत में से सरकार 12 रुपए प्रति लीटर का बोझ उठाती है और शेष राशि को बोझ ओएनजीसी जैसी अपस्ट्रीम तेल कंपनियों द्वारा उठाया जाता है।
पूर्ववर्ती संप्रग सरकार ने डीजल पर सब्सिडी को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए इसी तरह का कदम उठाया था और डीजल की कीमत में 50 पैसे प्रति लीटर प्रति माह की वृद्धि की गई थी। तब भाजपा ने इसका कड़ा विरोध किया था। कुछ राज्यों में तो मुख्यमंत्रियों ने साइकिल चलाकर इसका विरोध किया था परंतु भाजपा सरकार आने के बाद भी यह क्रम जारी रहा और अक्तूबर 2014 में डीजल कीमतों को नियंत्रणमुक्त कर दिया गया। पेट्रोल के दाम जून 2010 में ही नियंत्रणमुक्त कर दिए गए थे। तब से पेट्रोल की बिक्री उसकी लागत मूल्य के अनुसार ही की जा रही है। सरकार की तरफ से पेट्रोल, डीजल पर फिलहाल कोई सब्सिडी नहीं दी जा रही। अब केरिोसिन को भी नियंत्रण मुक्त कर गरीब का चूल्हा महंगा करने की तैयारी हो गई है।