अलीगढ़। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ओपन यूनिवर्सिटी के नाम से अलीगढ का लगभग हर शख्स परिचित है लेकिन अगर आप पूछेंगे कि इसकी बिल्डिंग कहां है तो शायद ही कोई बता पाएगा, हां अगर आप ये पूछेंगे कि अचल ताल में श्याम सुंदर शर्मा की दुकान कहां है तो ये हर कोई आपको बता देगा क्योंकि श्याम सुंदर शर्मा जो कि अचल ताल में आयुर्वेदिक चूरन बेचते हैं वहीं इस यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर भी हैं।
दरअसल यूजीसी ने उत्तर प्रदेश में जिन 22 यूनिवर्सिटी को जाली घोषित किया है उनमें से एक ये भी है और अब इस यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर साहब हाजमे का चूरन बेचते हैं। वाइस चांसलर साहब से जब ये जब यूनिवर्सिटी खोलने की कहानी पूछी गई तो उन्होंने कहा कि उनके पिता वैध थे इसलिए वो बीएसई पास नहीं कर पाए, हां उन्होंने आगरा यूनिवर्सिटी से सामाजिक सेवा करने का एक साल का सर्टिफिकेट कोर्स जरूर कर लिया। इसी के बाद साल 1990 में श्याम सुंदर शर्मा ने यूनिवर्सिटी खोलने का निर्णय लिया वो भी नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नाम पर क्योंकि वो उनके बहुत बड़े फैन थे।
अपनी इस योजना को लेकर श्याम सुदंर शर्मा जिला जज के पास पहुंचे और उनकी यूनिवर्सिटी के लिए जमीन देने की मांग की लेकिन जिला जज ने उनकी मांग को अस्वीकार कर दिया, फिर क्या अपनी धुन के पक्के श्याम सुंदर शर्मा ने एक कमरे में ही अपनी यूनिवर्सिटी खोल ली जहां पहले पांचवी तक पढ़ाई कराई जाती थी और उसमें 90 बच्चे और कुछ अध्यापक थे।
9 जनवरी 1990 को पुलिस ने श्याम सुंदर शर्मा को जालसाजी के आरोप में गिरफ्तार कर लिया और तबसे लेकर अबतक श्याम सुंदर शर्मा पर जालसाजी का केस चल रहा है।
श्याम सुंदर शर्मा कहते हैं कि वो अपनी फरियाद लेकर तत्कालीन राष्ट्रपति आर वेंकटरमन से भी मिले थे और उनके मुताबिक तत्कालीन राष्ट्रपति ने उनकी इस योजना का समर्थन भी किया था, हालांकि वो राष्ट्रपति और उनके बीच हुए पत्र व्यवहार का कोई ब्योरा नहीं दे पा रहे हैं।
उनसे जब ये सवाल पूछा गया कि 12वीं तक पढ़ाई कराने वाले इस संस्थान के प्रमुख को प्रिंसिपल या हैडमास्टर की जगह वाइस चांसलर क्यों बोला जाता है तो वो इस सवाल का भी मुकम्मल जवाब नहीं दे पाए।
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक साल 2008 में यूपी सरकार ने इस संस्थान को मान्यता देने से मना कर दिया था और बच्चों को यूनिवर्सिटी की ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की फर्जी डिग्री के आरोप में 10 लोगों की गिरफ्तारी भी की थी लेकिन 2011 में ये यूनिवर्सिटी फिर खुल गई। श्याम सुदंर शर्मा कहते हैं कि उनकी यूनिवर्सिटी 1901 से है जब यूजीसी भी अस्तित्व में नहीं थी।