पिथौरागढ़। इतनी बड़ी आपदा के बाद भी सरकारी तंत्र काहिली, संवेदनहीनता से बाज नहीं आया। वह भी तब जबकि आपदा प्रबंधन मंत्री एक जुलाई से ही पिथौरागढ़ में जमे हैं। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने राहत बचाव में किसी प्रकार की कोताही न बरतने के निर्देश दिए हैं।
संवेदनहीनता का आलम यह रहा कि बादल फटने की घटना के बाद मलबे से निकाले गए सात शवों की अंत्येष्टि के लिए प्रशासन लकड़ी भी मुहैया नहीं करा सका। गम और गुस्से के बीच लोगों ने शवों को ओगला चौराहे पर रख कर प्रदर्शन किया। इसके बाद हरकत में आए प्रशासन ने शवदाह के लिए लकड़ियों का इंतजाम किया।
बीते रोज पोस्टमार्टम के बाद शवों की अंत्येष्टि के लिए चर्मा ले जाया गया। ग्रामीणों ने सुबह ही लकड़ी की समस्या से गांव में मौजूद अधिकारियों को अवगत करा दिया गया था। शवयात्रा निकलने तक भी लकड़ियों का इंतजाम नहीं होने से ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया।
ग्रामीणों ने ओगला में शवों को रखकर प्रदर्शन शुरू कर दिया। इसकी सूचना आपदा प्रबंधन मंत्री को मिली तो उन्होंने लकड़ी दिलाने का आश्वासन देकर ग्रामीणों को शांत कराया। जिलाधिकारी एचसी सेमवाल ने वन विभाग को लकड़ी का इंतजाम करने के निर्देश दिए। वन विभाग ने शवदाह के लिए लकड़ियो का इंतजाम किया। इसमें चर्मा में तैनात आठ आसाम रेजीमेंट ने भी सहयोग दिया।