इस बार भगवान श्री हरि विष्णु सर्वार्थ सिद्धि योग में चार माह के लिए शयन करेंगे। देवशयनी एकादशी शुक्रवार को होगी। इसके साथ ही मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाएगा। विवाह, यज्ञोपवीत संस्कार, गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य नहीं होंगे। साधु-संत एक स्थान पर रुककर जप-तप और साधना में जुटेंगे।
इंदौर मप्र के पं. ओम वशिष्ठ के मुताबिक 15 जुलाई को देवशयनी एकादशी सुबह 9.17 पर लगेगी। इसके साथ ही दिवस पर्यंत सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा। सर्वार्थ सिद्धि योग में भगवान का शयन मंगलकारी माना जाता है। चातुर्मास 108 दिन का होता है। इसमें सामान्यतः आषाढ़ के पांच दिन, श्रावण के 30, भाद्रपद के 30, अश्विनी के 30 दिन और कार्तिक मास के 11 दिन होते हैं। इस तरह चंद्रमास के हिसाब से 106 और सौर मास के मुताबिक 108 दिन होते हैं। ज्योतिर्विद् गुलशन अग्रवाल के अनुसार चार मास के दौरान शिव, कृष्ण, गणपति, दुर्गा और सूर्य की आराधना की जाती है। साधु, संत, संन्यासी और तपस्वी एक स्थान पर रुकते हैं।
चौमासे के बाद विवाह के 10 मुहूर्त
ज्योतिर्विद् देवेंद्र कुशवाह ने बताया कि 15 जुलाई देव शयनी एकादशी से 11 नवंबर देव प्रबोधिनी एकादशी तक विवाह सहित अन्य मांगलिक कार्यों पर विराम रहेगा। नवंबर में 11, 23, 24, 25 और 30 को विवाह के मुहूर्त रहेंगे। दिसंबर में 3, 4, 8, 12, 13 को शादियां होंगी।
छाएगा तीज त्योहारों का उल्लास
चातुर्मास के दौरान तीज त्योहारों का उल्लास चरम पर रहेगा। इस दौरान गुरु पूर्णिमा, सावन सोमवार, नागपंचमी, राखी, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, गोगा नवमी, हरितालिका, गणेशोत्सव, श्राद्ध पक्ष, नवरात्रि, दशहरा, शरद पूर्णिमा, दीपावली त्योहार आएंगे।
खान-पान में संयम जरूरी
पं. श्रीकांत पोपलेकर के अनुसार वर्षाकाल में दूध, शक्कर, दही, बैंगन, पत्तेदार सब्जियां, नमकीन, प्याज, लहसुन व मसालेदार भोजन के साथ कंद-मूल खाने की मनाही है। इनमें सूक्ष्म जीव निवास करते हैं। इन्हें खाने से स्वास्थ पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इस दौरान पाचन क्रिया भी मंद होती है।