कश्मीर को छोड़ कुर्सी की जमावट में लगी है शिवसेना

नईदिल्ली। कश्मीर के हालात किसी से छिपे नहीं हैं। भारत की प्रतिष्ठापूर्ण पवित्र अमरनाथ यात्रा प्रभावित हो गई, सोशल मीडिया पर लोग बाला साहब ठाकरे को याद कर रहे हैं और उनकी शिवसेना महाराष्ट्र में अपनी कुर्सी की जमावट में लगी हुई है। अमरनाथ यात्रा हमेशा से आतंकियों के निशाने पर रही है। 1990 में भी ऐसी ही कुछ शुरूआत हुई थी, तब बाल ठाकरे के एक बयान ने आतंकियों में इस कदर दहशत भर दी, कि पूरी यात्रा निर्विध्न संपन्न हुई। 

मुंबई से खबर आ रही है कि शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने शनिवार को एक कार्यक्रम में पूरे आत्मविश्वास के साथ कहा है कि अगर महाराष्ट्र में अभी चुनाव होते हैं तो मुख्यमंत्री शिवसेना का होगा। यह बयान उस समय आया है जब महाराष्ट्र में उनकी साथी पार्टी भाजपा की सरकार है और चुनाव को 3 साल बाकी है। माना जा रहा है कि शिवसेना अगला चुनाव बिना बीजेपी के लड़ने के मूड में है और उसने इसकी तैयारियां शुरू कर दीं हैं। 

शिवसेना को एक ऐसी राजनैतिक पार्टी माना जाता है जो केवल हिंदुओं के हित का ध्यान रखती है। इसके लिए वो किसी तरह का समझौता नहीं करती परंतु बाधित हुई अमरनाथ यात्रा और शिवसेना की चुप्पी के बाद अब कुर्सी के लिए जमावट की आमसभा शिवसेना की परिभाषा बदल रही है। 

क्या हुआ था 1990 में
उन दिनों कश्मीर से पंडितों को मारकर भगाया जा रहा था। शरणार्थियों के केंप लगे हुए थे। लोग मारे जा रहे थे, महिलाओं के साथ बलात्कार हो रहे थै। हालात बेकाबू थे। इस दौरान अमरनाथ यात्रा का समय आया और आत्मविश्वास से लबरेज आतंकियों ने ऐलान किया कि वो इस साल की अमरनाथ यात्रा नहीं होने देंगे। तब बाल ठाकरे ने एक ऐसा बयान दिया कि तमाम आतंकी संगठन सहमकर रह गए और अमरनाथ यात्रा निर्विध्न सम्पन्न हुई। 

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