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सोमवार को टाइम लिमिट बैठक के दौरान जिले के बमूरिया स्कूल का मामला भी उठा। इस स्कूल को तीन साल पहले करीब 11 लाख की लागत से बनाया गया था। भवन खेतों के बीच बना है, लेकिन वहां तक पहुंचने के लिए एप्रोच रोड नहीं है। करीब तीन महिने पहले कलेक्टर के कहने पर डीपीसी वहां गए और स्कूल को चालू करने के लिए वापस से उसका रंग-रोगन करवाते हुए अन्य व्यवस्थाएं करवाई, उसके बाद भी एक भी बच्चा स्कूल में पढ़ने नहीं आया।
इसी बात को लेकर कलेक्टर संकेत भोंडवे ने बैठक में डीपीसी एसएस पटेल से सवाल कर लिया, जिस पर उन्होंने जवाब दिया कि स्कूल खुलवा दिया गया है। इसके बाद जब कलेक्टर ने नाराजी भरे लहजे में पूछा कि फिर बच्चे क्यों नहीं आ रहे हैं, तो डीपीसी उखड़ गए और बोले की आपको सब पता है, अब क्या घर-घर जाकर बच्चों के पैर लागूं कि स्कूल चलो।
डीपीसी का ये जवाब सुनकर बैठक में मौजूद सभी लोग एक पल के लिए हैरान रह गए। हालांकि, उनके इस जवाब के बाद कलेक्टर ने तहसीलदार से एप्रोच रोड न बन पाने की वजह पूछी। जिसके बाद अब तहसीलदार ने बमुरिया पहुंचकर मुरम और बजरी डलवाकर एप्रोच रोड बनवाना शुरू कर दी है।