प्रमोद पवांर। मप्र में राज्य शिक्षा सेवा आयोग गठित हुए 3 वर्ष होने वाले है, जिसे पूर्णतया अस्तित्त्व में लाने के लिए सितम्बर 2013 को एईओ की परीक्षा से नवीन रचनानुसार भर्ती की जाना है किन्तु भर्ती के विरूद्ध हाईकोर्ट में लगी याचिकाऐं मप्र सरकार के पक्ष में सित0 2014 में एईओ की भर्ती करने के निर्णय के साथ ही सुप्रीम कोर्ट में केस विचाराधीन है। आश्चर्य यह है कि अब मप्र शासन उसी परीक्षा को निरस्त करवाने की दलील हाईकोर्ट के निर्णय केवल 5 वर्ष की एचएम/यूडीटी/अध्यापक पद के अनुभव की अनिवार्यता समाप्ती को लेकर दे रहा है जो कि विज्ञापन निकलने के बाद एईओ की भर्ती विज्ञापन अनुसार करना न्यायोचित है।
मप्र शासन द्वारा भर्ती में विलम्ब करना एवं सुप्रीम कोर्ट में परीक्षा निरस्त की दलील देना दोनो बाते वेरिफाईड एईओ के साथ अन्याय करना है। इसलिए मप्र शासन से यह प्रश्न पूछा जाना चाहिए कि:
1. हाईकोर्ट में मप्र शासन के पक्ष में हुए निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में अनुभव की बात को लेकर परीक्षा निरस्त करने के स्थान पर मप्र शासन विज्ञापन के आधार पर भर्ती की दलील क्यों नही दे रहा है।
2. शिक्षा व्यवस्था परिवर्तन की योजना राज्य शिक्षा सेवा आयोग को पूर्णतया लागू करने के लिए एईओ की भर्ती शैक्षणिक गुणवत्ता की दृष्टि से कितनी महत्वपूर्ण है। फिर भी तीन वर्ष से अभी तक क्यों नही की, जबकि हाईकोर्ट ने भर्ती करने का निर्णय सित0 2014 में दिया और जनवरी 2016 तक एईओ की भर्ती पर कोई स्टे नही था। मप्र शासन स्वयं परीक्षा निरस्त क्यों करवाना चाहता है।
निवेदक
प्रमोद पवांर
तलेन, जिला राजगढ़ (ब्यावरा) म०प्र०