भोपाल में बाढ़: गलती निगम की, नोटिस बिल्डर्स को, नुक्सान नागरिकों का

भोपाल। भोपाल में हुए जलभराव के बाद अब नगर निगम प्रशासन सारा दोष बिल्डर्स के माथे मढ़ रहा है, जबकि असली गलती नगर निगम के अधिकारियों की है। निगम के अधिकारियों ने बिल्डिंग परमिशन जारी करने के बाद कभी मौका मुआयना किया ही नहीं। बस फीस वसूली और शायद सुविधा शुल्क भी। इसके बाद चुप हो गए। कोई मुआयना नहीं, कोई जांच नहीं। यदि निगम के अधिकारी मुस्तैद होते तो भोपाल का ड्रेनेज सिस्टम कभी डैमेज ही नहीं होता। 

निगम अफसरों का कहना है कि बिल्डरों द्वारा ड्रेनेज सिस्टम नहीं बनाने, नालों पर कब्जा करने के कारण जलभराव की समस्या हुई है। इसी को लेकर निगम की बिल्डिंग परमिशन शाखा ने हाल ही में शहर के 200 बिल्डरों व कॉलोनाइजरों को नोटिस जारी किए हैं। उनसे नोटिस के माध्यम से दस्तावेज मांगे गए हैं। पूरा मानसून सीजन उनके जवाब सुनने में ही निकल जाएगा और जलभराव की समस्या जस की तस रहेगी। ऐसे में यदि एक बार फिर तेज बारिश हुई तो शहर में बाढ़ जैसे हालात बनना तय है।

अपने जाल में फंसा नगर निगम 
इसका नुकसान शहरवासियों को ही भुगतना होगा। नहीं हो पाएगी कार्रवाई निगम ने नोटिस तो जारी कर दिए हैं, लेकिन कवर्ड कैंपस को लेकर संशय की स्थिति है। दरसअल, 2013 के बाद कवर्ड कैंपस को लेकर नई गाइड लाइन जारी हुई थी, जिसमें कहा गया था कि कवर्ड कैंपस के चारों ओर 60 फीट की रोड होना अनिवार्य है। इसके अलावा चारों तरफ से कैंपस से बाहर निकलने का प्रावधान होना चाहिए, लेकिन इससे पहले बने कवर्ड कैंपस को लेकर कोई नियम नहीं होने से यह पूरी तरह वैध हैं, ऐसे में इन पर कार्रवाई भी संभव नहीं है। फिर नोटिस क्यों? जानकारों का कहना है कि शहर में बनी सभी कॉलोनियों का रिकॉर्ड निगम के पास मौजूद हैं।निगम चाहे तो खुद दस्तावेज के आधार पर भौतिक सत्यापन कर सकता है, लेकिन अपने काम से बचने के लिए बिल्डिरों से ही दस्तावेज मांगे जा रहे हैं।

सिर्फ फीस वसूलते हैं, साइट विजिट नहीं करते निगम के अफसर 
मो. हबीब खान, आर्किटेक्ट का कहना है कि नियमानुसार बिल्डिंग परमिशन जारी करने के बाद निगम के इंजीनियरों को भौतिक सत्यापन करना चाहिए। यदि परमिशन के विरुद्ध निर्माण हो रहा है तो उसे रोका जा सकता है, लेकिन 90 फीसदी कॉलोनियों में इंजीनियर जाते ही नहीं। निगम अफसरों को अपनी फीस से मतलब होता है। इसके बाद वह साइट पर नहीं जाते। जब जलभराव की समस्या हुई तो अपनी गलती को छुपाने के लिए बिल्डरों और कॉलोनाइजरों को दोषी बताया जा रहा है।

नालों से अतिक्रमण हटाना हमारा उद्देश्य
एमपी सिंह, अपर आयुक्त, नगर निगम का कहना है कि जो कॉलोनियां नियमानुसार बनी हैं, उनमें कार्रवाई करने का सवाल ही नहीं उठता, लेकिन जिन्होंने बिल्डिंग परमिशन का उल्लंघन किया है उन्हें हटाया जाएगा। हमारा उद्देश्य नालों पर हुए अतिक्रमण हटाना है। 

शहर में ड्रेनेज सिस्टम ही नहीं है
मनोज सिंह मीक, सचिव, क्रेडाई कहते हैं कि ड्रेनेज का इंफ्रास्ट्रक्चर तो तैयार करें शहर में ड्रेनेज सिस्टम ही नहीं है। बिल्डर तो ड्रेनेज लाइन वहीं छोड़ेंगे, जहां ढलान होगी। जब इंफ्रास्ट्रक्चर ही नहीं होगा तो इसमें बिल्डर दोषी कैसे हो सकता है।

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