उत्तर प्रदेश: चुनावी शतरंज पर कांग्रेस के मोहरे

राकेश दुबे@प्रतिदिन। उप्र चुनावों के लिए कांग्रेस ने  जो नाम आगे किए हैं, उससे दो वोट बैंक पर निशाना साधने की कोशिश की गई है | स्पष्ट रूप से सामने आ रहा है कि वह ब्राह्मणों और मुसलमानों को अपनी ओर करना चाहती है, जिनकी संख्या भी प्रभावी है और जिनके वोट मिलने की संभावना भी बन सकती है| बशर्ते कांग्रेस गंभीर दिखे और कुछ दूसरे वोट बैंक में भी  सेंध लगाने का दम-खम दिखाए |यही वह शर्त है जहां कांग्रेस की नई रणनीति को मुंह की खानी पड़ सकती है|

2009 में जब कांग्रेस को अप्रत्याशित रूप से लोक सभा की 22 सीटें मिल गई थीं, तो धुर पूरब के देवरिया, बनारस से लेकर अवध और रुहेलखंड के कुछ क्षेत्रों, यहां तक कि बुंदेलखंड में भी उसे बड़े पैमाने पर पिछड़ी और अति-पिछड़ी जातियों के वोट भी मिले थे. तब राहुल गांधी के आकर्षण में ऐसी फिजां तैयार होने पर ही उसे ब्राह्मणों और मुसलमानों के वोट बड़े पैमाने पर हासिल हुए थे|लेकिन 2012 के विधान सभा चुनावों में ही उसका गणित बिखर गया, जब राहुल के खूब जोर लगाने पर भी उसके सिर्फ 28 विधायक ही जीत पाए थे|

इस बार उसकी फेहरिस्त में सिर्फ शीला दीक्षित, राज बब्बर ही नहीं हैं, बल्कि गुलाम नबी आजाद भी हैं| दूसरी पांत में भी कुछ प्रभावी और सक्रिय नेताओं को भी कमान दी गई है| पश्चिम उप्र में अपने कट्टर  बोल से मशहूर हुए इमरान मसूद को महासचिव तो पूरब में बनारस और मिर्जापुर में खास असरदार राजेश मिश्र को उपाध्यक्ष बनाया गया है|इस तरह कांग्रेस एक बिल्कुल नए तरह के समीकरण का संकेत देने की कोशिश कर रही है| बड़ी ही सफाई से किसी भी पिछड़ी या दलित जाति के नेता को न चुन कर पार्टी ने सवर्ण जातियों को संदेश देने की कोशिश की है कि अन्य दलों की तुलना में कांग्रेस उनके हितों को समझती है|

अब इस गणित को दूसरे दलों की रणनीतिके अनुरूप रखे तो भाजपा के केशव प्रसाद मौर्य को अध्यक्ष बनाने और बसपा से टूटे स्वामी प्रसाद मौर्य और आरके चौधरी पर डोरे डालने से स्पष्ट है कि वह अति पिछड़ी और दलित जातियों को अपने पाले में लाने की जोरदार कोशिश कर रही है. हाल में उसने कुर्मी जाति में असर रखने वाले अपना दल की अनुप्रिया पटेल को केंद्र में मंत्री बनाया और राजभरों के छोटे दल से गठजोड़ किया| कहते हैं, राज्य के ब्राह्मणों में इसका अच्छा संदेश नहीं गया है| उधर, बसपा करीब 100 टिकट मुसलमानों को दे रही है और ब्राह्मणों को भी लुभाने की कोशिश कर रही है. सपा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की विकास पुरुष की छवि को भुनाने में लगी है.|
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।        
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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