
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस गरीब दलित परिवार को अपने दो सदस्यों की मौत के दूसरे दिन मंगलवार को भी प्रशासनिक तंत्र की लापरवाही का शिकार होना पड़ा। उनकी हुई अंत्येष्टि के पूर्व पोस्टमार्टम स्थानीय अस्पताल में इसलिए नहीं हो पाया क्योंकि वहां डाक्टर मौजूद नहीं थे, इस कारण पोस्टमार्टम होशंगाबाद ले जाकर करवाया गया। रिपोर्ट में इस बात पर भी घोर आश्चर्य किया गया है कि जब प्रदेश में बच्चों के दिल के आपरेशन के लिए संचालित ‘‘अटल बाल उपचार योजना’’ कार्यरत है और ‘‘मुख्यमंत्री स्वेच्छा अनुदान योजना’’ को लेकर प्रति वर्ष 25 करोड़ रूपयों की राशि का आवंटन निर्धारित है, तब मुख्यमंत्री के निर्वाचित क्षेत्र में ही इस मृत गरीब दलित बच्चे का उपचार क्यों और किसलिए नहीं हो सका?
तमाम अधिकारियों और डॉक्टरों से की गई गुहार क्यों नहीं सुनी गई? मृतकों के शोकाकुल परिजनों को सांत्वना और सहयोग देने कोई भी प्रशासनिक अधिकारी क्यों नहीं पहुंचा?
कांग्रेस नेताओं की इस संयुक्त रिपोर्ट में इस बात का भी खुलासा किया गया है कि मृतकों के परिजनों को सच्चाई नहीं बताने के लिए प्रशासन द्वारा दबाव बनाया जा रहा है कि यदि सच्चाई उजागर की गई तो दहेज प्रताड़ना के झूठे मामले में प्रकरण दर्ज कर दिया जाएगा।