इंदौर। उच्च शिक्षा विभाग ने दो महीने पहले यूजीसी के नियमों का हवाला देकर प्रोफेसर्स को कॉलेजों में कम से कम 5 घंटे रुकने की अनिवार्यता लागू कर दी है। हालांकि इसकी मॉनीटरिंग नहीं होने से सरकारी स्कूलों की तर्ज पर अब प्रोफेसर्स से भी ई-अटेंडेंस लगवाई जाएगी।
शहर सहित प्रदेश के 300 सरकारी कॉलेजों के प्रोफेसर्स कॉलेज कब आते और जाते हैं, अब तक इसका कोई लेखा-जोखा नहीं होता था। अब उच्च शिक्षा विभाग स्कूली शिक्षा विभाग के शिक्षकों को ई-अटेंडेंस से जोड़ने वाले फार्मूले को कॉलेज प्रोफेसर्स पर लागू करने जा रहा है। मामले में प्रोफेसरों का कहना है कि उन्हें समय के बंधन में नहीं बांधा जा सकता। रिसर्च और कई अन्य सरकारी कामों में भी वे अपना योगदान देते हैं।
दो तरह से उपस्थिति होगी दर्ज
उच्च शिक्षा विभाग प्रोफेसर्स के आने-जाने का समय रिकार्ड करने के लिए सभी कॉलेजों में थम्प मशीन लगाने पर विचार कर रहा है। जिन स्थानों पर बेहतर इंटरनेट सर्विस है वहां विभाग के स्मार्ट एप के जरिए उपस्थिति दर्ज कराई जाएगी।
छुट्टी के लिए भी बना नियम
प्रोफेसर्स अब जब चाहे छुट्टी नहीं ले सकेंगे। उन्हें प्रिंसिपल से इसकी लिखित अनुमति लेना होगी। उनके छुट्टी पर रहते पढ़ाई का नुकसान न हो इसकी भी व्यवस्था करना होगी। इसमें किसी भी तरह की लापरवाही पर प्रिंसिपल पर कार्रवाई की जाएगी।
छात्रों के लिए भी ई-अटेंडेंस
विभाग पहले ही निर्देश दे चुका है कि छात्रों की उपस्थिति थम्प मशीन में ली जाए। नियम अनुसार 75 फीसदी उपस्थिति होने पर ही छात्रों को परीक्षा में बैठाया जा सकता है, हालांकि कई सालों से कॉलेज और यूनिवर्सिटी 50 फीसदी उपस्थिति पूरी करने वालों की भी परीक्षा ले रही हैं।
प्रोफेसर्स को कम से कम कॉलेज में 5 घंटे रुकना अनिवार्य है। इनका रिकार्ड रखने के लिए ई-अटेंडेंस सिस्टम जल्द ही शुरू किया जा रहा है। इसके लिए भोपाल स्तर पर प्लानिंग हो चुकी है।
डॉ. आरएस वर्मा,
एडिशनल डायरेक्टर, उच्च शिक्षा विभाग
शिक्षा में गुणवत्ता के लिए जरूरी है कि प्रोफेसर्स कॉलेजों में ईमानदारी से छात्रों को पढ़ाएं। हालांकि हर तरह से उनके काम को मॉनिटर नहीं किया जा सकता। उनके पास रिसर्च के अलावा भी कॉलेज के कई काम होते हैं।
डॉ. राजीव झालानी,
शिक्षाविद