भोपाल। मप्र में करोड़पति विधायकों की कमी नहीं है। 70% विधायक मालामाल हैं। मंत्रियों में भी करोड़पतियों की कमी नहीं है लेकिन हाल ही में मंत्रीमंडल में शामिल किए गए कटनी जिले के विजयराघवगढ़ से विधायक 45 वर्षीय संजय पाठक की संपत्ति करीब एक दर्जन मंत्रियों की कुल संपत्ति से भी ज्यादा है। इनकी घोषित संपत्ति 141 करोड़ है। ये इंडोनेशिया में भी कारोबार करते हैं और इनके पास अपना प्राइवेट हेलीकॉप्टर भी है। एक खास बात यह है कि जिस संजय पाठक को भाजपा ने शान के साथ मंत्री बनाया है, 4 साल पहले भाजपाई उन्हें माइनिंग माफिया कहा करते थे।
विधायक की कंपनी निर्मला मिनरल्स और आनंद माईनिंग कॉर्पोरेशन पर सीहोरा में अवैध खनन के आरोप लगे थे। उनकी लीज साल 2007 में ही ख़त्म हो गई थी जबकि वो 2012 तक अवैध खनन करते रहे। आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। साल 2009 औऱ 2010 में 4,60,000 टन के खनन की इजाज़त थी लेकिन अंधाधुंध तरीके से 19,80,488 टन खनिज निकाला गया। 10 लाख टन से ज्यादा का घोटाला हुआ। इसकी कीमत 5000 करोड़ से ज्यादा आंकी गई थी। मामला देशभर की मीडिया में छाया रहा। इसके पहले और बाद में भी दर्जनों ऐसे मामले सामने आए।
मंत्री संजय पाठक जब कांग्रेस में हुआ करते थे तो भाजपाई उन्हें पानी पी पीकर कोसा करते थे। प्रेस वार्ताओं में भाजपा के कई दिग्गजों ने संजय पाठक को माइनिंग माफिया तक कहा। राजनीति की चालबाजियां देखिए, आज वही संजय पाठक शिवराज सरकार के माननीय मंत्री महोदय हैं। अब सारे भाजपाई ना केवल चुप हैं, बल्कि उनका स्वागत कर फोटो सोशल मीडिया पर वायरल भी कर रहे हैं।
कुल कितनी घोषित संपत्ति
बीजेपी के पुराने आरोपों पर भरोसा करें तो संजय पाठक के पास अकूत काली कमाई है परंतु घोषित संपत्ति की चर्चा होगी तो इसे 141 करोड़ कहा जाएगा। इनमे कई बड़े होटल और रिजॉर्ट शामिल हैं। इनके पास एक हेलिकॉप्टर भी है। अगस्त 2014 में हुए उपचुनाव में उन्होंने अपनी संपत्ति घोषित की थी। इससे पहले वर्ष, 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपनी संपत्ति 121.32 करोड़ रुपए बताई थी।
पिता कांग्रेस सरकार में मंत्री थे, परिवार 1922 से माइनिंग कारोबार में
संजय पाठक के पिता सत्येंद्र पाठक दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में मंत्री थे। इनके मप्र के नेशनल पार्क जैसे-कान्हा, पेंच के अलावा खजुराहो में सायना नाम से हेरिटेज होटल की चेन है। इसके साथ ही आयरन, बॉक्साइट, कोल आदि की माइन्स के ठेके भी संजय पाठक ने ले रखे हैं। इनकी इंडोनेशिया में भी कोल की माइन्स हैं। हालांकि, वर्ष 2011 में मप्र लोकायुक्त में इनके खिलाफ माइन्स घोटाले को लेकर शिकायत की गई थी। बताया जाता है कि संजय पाठक का परिवार 1922 से माइनिंग कारोबार में जमा हुआ है और चूंकि पिता कांग्रेस के दिग्गज नेता थे इसलिए भाजपा के निशाने पर हुआ करता था।