नईदिल्ली। पीएम मोदी चाहते हैं कि जैसे मप्र सहित 5 राज्यों की शहरी सरकारों में मेयर्स को सीधे जनता द्वारा चुना जाता है, वैसे ही पूरे देश में भी हो। उन्हें ज्यादा वित्तीय अधिकारी दिए जाएं और प्रशासनिक एजेंसियां अधिक शक्तिशाली हों, जैसी लंदन और न्यूयॉर्क जैसे अंतरराष्ट्रीय मेट्रो शहरों में होती हैं। ताकि शहर के विकास के लिए वो सीधे जवाबदेह हों और हर शहर की समस्याएं वहीं पर निपटाई जा सकें। राज्य सरकारों का दखल कम से कम हो।
वर्तमान में 5 राज्यों उत्तराखंड, चंडीगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु में जनता द्वारा सीधे चुने गए मेयर पांच साल के लिए बनते हैं। हालांकि उन्हें वित्तीय और कार्यकारी स्वतंत्रता सीमित मात्रा में ही मिलती है। वास्तविक शक्ित अभी भी राज्य सरकारों के पास होती है, जो मुनिसिपल कमिश्नर के जरिये शहर को संचालित करता है।
सूत्रों ने बताया कि मोदी देशभर के शहरों में सीधे तौर पर चुने गए मेयर की यह व्यवस्था लागू करना चाहते हैं। ताकि स्थानीय नेतृत्व में सीधे जवाबदारी तय हो। इसे आगे ले जाते हुए पीएमओ ने शहरी विकास मंत्रालय के साथ कई बैठकें की हैं, जिसका मकसद नगर निगमों को अधिक सश्ाक्त बनाना है। एक अधिकारी ने बताया कि इस योजना का खाका तैयार हो रहा है कि इसे कैसे लागू किया जाएगा। हम राज्यों के लिए सीधे मेरय के चुनाव को अनिवार्य बनाने के लिए संविधान संशोधन सहित कई विकल्पों पर विचार कर रहे हैं।
मंत्रालय ने शहरी विकास मंत्रालय के सचिव राजीव गाबा के नेतृत्व में एक समिति गठित की है, जो इस मामले को देखेगी। इस समिति की पहली बैठक 20 जुलाई को होगी। यह राज्यों के शहरी विकास मंत्रियों, 500 श्हरों मेयरों और कमिश्नरों की नेशनल कॉनक्लेव आयोजित करने की योजना बना रही है।
इस बैठक में इस बारे में चर्चा होगी कि शहरी स्थानीय निकायों को कैसे शक्तिशाली बनाया जाए। वर्तमान में कई राज्यों में मेयरों को चुनाव नगर में पार्षदों के द्वारा किया जाता है।