फर्जी कॉलेज से डॉक्टरों को पीजी डिप्लोमा कराएगी मप्र सरकार ?

Bhopal Samachar
भोपाल। मप्र के MBBS डॉक्टरों को स्पेशलिस्ट बनाने के लिए सरकार जिस कॉलेज से अनुबंध करने जा रही है, वो तो फर्जी है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने उसके खिलाफ हाईकोर्ट में दावा कर रखा है। पता चला है कि इस कॉलेज के संचालक राज्य सरकारों से अनुबंध करके डिप्लोमा कोर्स चला रहे हैं, जबकि उसके पास तो मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की मान्यता ही नहीं है। कर्नाटका, तमिलनाडु और छत्तीसगढ़ इसके जाल में फंस चुके हैं, अब मप्र भी फंसने जा रहा है। अपने फायदे के लिए कानून बदलने में माहिर शिवराज सरकार इस कॉलेज को फायदा पहुंचाने के लिए मप्र मेडिकल काउंसिल (MPMC) एक्ट में बदलाव करेगी। 

प्रदेश में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी को देखते हुए एमबीबीएस डॉक्टरों को मुंबई के कॉलेज ऑफ फिजीशिसंस एंड सर्जन्स से डिप्लोमा कराने का प्रस्ताव इसी महीने कैबिनेट में आया था। कुछ मंत्रियों ने इस संस्था की विश्वसनीयता जांचे बिना डॉक्टरों को डिप्लोमा कराने को गलत बताया था। इसके बाद संस्था की सच्चाई जानने की लिए तीन सदस्यीय टीम मुंबई गई थी। इसमें भोपाल की सीएमएचओ डॉ. वीणा सिन्हा, एमपीएमसी के डिप्टी रजिस्ट्रार पुरुषोत्तम शर्मा व मेडिकल यूनिवर्सिटी के प्रतिनिधि डॉ. पुष्पराज शामिल थे।

टीम ने शासन को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि लंदन के रॉयल कॉलेज ऑफ फिजीशियंस एंड सर्जन्स की तर्ज पर 1912 से यह संस्था संचालित है। इसे महाराष्ट्र सरकार से मान्यता है। कर्नाटका, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़ समेत पांच राज्यों ने इस संस्था से एमओयू किया है। कमेटी ने सिफारिश की है, जब तक मप्र मेडिकल यूनिवर्सिटी इस तरह का डिप्लोमा कोर्स शुरू नहीं करती मप्र सरकार भी (सीपीएस) से एमओयू कर सकती है।

बता दें कि एमओयू के बाद सीपीएस सिर्फ डिप्लोमा देगा। डॉक्टरों की ट्रेनिंग प्रदेश के ही मेडिकल कॉलेजों में होगी। कमेटी की रिपोर्ट के बाद एमबीबीएस डॉक्टरों का डिप्लोमा कराने का प्रस्ताव फिर कैबिनेट में आ सकता है। इस संबंध में हेल्थ कमिश्नर दीपाली रस्तोगी ने कहा कि उन्होंने अभी रिपोर्ट नहीं देखी है।

इन विषयों में होगा डिप्लोमा
प्रदेश में शिशु और मातृ मृत्यु दर ज्यादा है, जबकि शिशु रोग विशेषज्ञ, एनेस्थीसिया विशेषज्ञ, गायनकोलॉजिस्ट के आधे से ज्यादा पद खाली हैं। प्रदेश में पीजी सीटें कम होने की वजह से इन पदों का भर पाना मुश्किल है, इसलिए राज्य सरकार डिप्लोमा कराने की तैयारी कर रही है। क्रिटिकल केयर व एक अन्य विषय में भी डिप्लोमा कराने का प्रस्ताव है।

CPS के खिलाफ IMA ने दायर की याचिका
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने गुजरात हाईकोर्ट में हाल ही में एक याचिका दायर की है। इसमें कॉलेज ऑफ फिजीसियंस एंड सर्जन्स (सीपीएस) में पोस्ट ग्रेज्युएट डिप्लोमा कोर्स में एडमिशन पर रोक लगाने की मांग की गई है।

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