
4735 करोड़ रुपये
साल 1989 से मार्च, 2015 के बीच केंद्र सरकार ने कश्मीर पर सुरक्षा के लिए व्यय किया। प्रति वर्ष औसतन 189 करोड़ रुपये राज्य को सुरक्षा के मद में केंद्र सरकार देती है। वित्तीय वर्ष 2014-15 में राज्य सरकार को करीब 288 करोड़ रुपये की राशि मुहैया करवाई गई है।
2,472 करोड़ रुपये
केन्द्र द्वारा 1989 से 2015 तक राज्य में राहत और पुनर्वास के लिए खर्च किया गया। यह राशि कश्मीरी विस्थापितों के पुनर्वास के लिए दी जाती है, जिनको नब्बे के दशक में जबरन घाटी से बाहर कर दिया गया था। अलगाववादी आंदोलन की शुरुआत के बाद से औसतन 100 करोड़ रुपये इस मद में हर साल आवंटित किए जाते हैं। इस राशि का लगभग दोगुना पैसा केंद्र द्वारा राज्य में पुलिस पर खर्च किया जाता है।
750 करोड़ रुपये
उड़ान नामक योजना के लिए आवंटित की गई है। उड़ान योजना के तहत पांच साल की अवधि में कौशल और प्रशिक्षण के जरिए 40,000 कश्मीरी युवकों को रोजगार के लायक बनाने का लक्ष्य रखा गया है। यह योजना पीपीपी मॉडल के तहत लागू की जानी है। राष्ट्रीय कौशल विकास निगम और बड़ी कंपनियों के सहारे यह योजना चलती है। आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने जनवरी 2013 में इस योजना के लिए मंजूरी दी थी। प्रत्येक उम्मीदवार के लिए 1,35,625 रुपये की राशि निर्धारित है, जो यात्रा, आवास, भोजन, वजीफा और चिकित्सा बीमा पर खर्च होती है। इसके अतिरिक्त, यदि प्रशिक्षार्थियों को भर्ती कर लिया जाता है और वे कम से कम तीन महीने तक नौकरी में रहेंगे। इसके लिए कंपनियों को 50,000 रुपये प्रति उम्मीदवार भुगतान किया जाएगा।
अन्य खर्चे जिनके लिए बजट निर्धारित नहीं है
3,00,000 रुपए सहायता राशि जम्मू-कश्मीर के पुलिसकर्मियों के निकट संबंधियों को अनुग्रह राशि के तौर पर दी जाती है, यदि वे आतंकवाद की घटनाओं में मारे जाते हैं।
हिंसा के कारण अचल संपत्ति को नुकसान के बदले में 1,00,000 रुपए (या नुकसान का 50%) प्रदान किया जाता है।
चार या इससे कम सदस्यों के कश्मीरी परिवार को 1,650 रुपये प्रति माह प्रति व्यक्ति की दर से और प्रति परिवार 5,000 रुपये प्रति माह खर्च मिलता है। यदि चार या अधिक सदस्यों का परिवार है तो 6,600 रुपये प्रति माह की सीमा तय है।
इसके अलावा, कश्मीरी विस्थापितों को आवासीय जरूरतों, छात्र छात्रवृत्ति, ऋणों पर ब्याज की माफी और खेती की आवश्यकताओं के लिए भी आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाती है।