राकेश दुबे@प्रतिदिन। डॉ जाकिर नाइक उस व्यक्ति का नाम है जो इस्लाम की भावुक व्याख्या करके थोड़े समय में ही खासे लोकप्रिय हो गया और अपना बड़ा-सा तामझाम स्थापित कर लिया। नाइक उउस बहावी पंथ की वकालत करता है, जो अपनी उग्रता के कारण मुस्लिम युवाओं में आकर्षण का केंद्र है। इस्लाम की बहावी धारा का जन्म सऊदी अरब में हुआ और अल कायदा तथा अब इस्लामिक स्टेट के आतंकी इसी धारा को अपना प्रेरणा-स्रेत मानते हैं।
नाइक कट्टरवादियों की हर बात को इस्लाम के अनुरूप बताता हैं और दूसरे धर्मो की गलत तथा बचकानी व्याख्या करके उसे सही साबित करने की कोशीश भी करता हैं। हालांकि लंबे समय से अपनी इन हरकतों के लिए वो चर्चा में हैं। कुछ साल पहले खुशवंत सिंह ने उसके बारे में लिखा था कि वो बेहद बचकानी दलीलें देता हैं, जो अनपढ़ों या स्कूली पढ़ाई पूरी न करने वालों को ही पसंद आ सकती हैं।
कुछ समय पहले दारूल उलूम देवबंद के कई इस्लामी विद्वानों ने भी उसकी बातों को बचकानी बताया था और उसकी व्याख्या को गैर-मुकलीदीन या इस्लाम के मान्य सिद्धांतों के खिलाफ बताया था, हाल में ढाका में एक रेस्तरां में 20 लोगों की हत्या करने वाले आतंकियों में कई उसके प्रशंसक भी थे। इस खबर के खुलने के बाद उसके वे बयान भी चर्चा में आ गए हैं कि हर मुसलमान को आतंकी होना चाहिए। वो ओसामा बिन लादेन की प्रशंसा वाले अपनी वीडियो को छेड़छाड़ किया हुआ बताता हैं लेकिन हकीकत यह भी है कि वो बहुविवाह का समर्थक हैं, लड़कियों की शिक्षा के खिलाफ हैं और हर उस बात में यकीन करता हैं जैसे कोई भी दकियानूसी कट्टर आदमी करता है। अगर उसके ये विचार युवाओं को गुमराह करने लगे हैं तो निश्चित रूप से सरकार को सचेत हो जाना चाहिए।
इस मामले में हमें अमेरिका के अनुभव से सबक लेना चाहिए कि ऐसे ही धर्म प्रचारक अनवर अल अवलाकी मारे जाने के बाद आतंकियों के बीच ज्यादा लोकप्रिय हो गए। अदालती या पुलिसिया कार्रवाई की एक सीमा है और सोशल मीडिया के इस दौर में नाइक को शमहान विद्वान के रूप में पेश किया जा सकता है, इसलिए उसे विचारों से हराना ही बेहतर होगा।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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