भोपाल। 5000 करोड़ के सिंहस्थ घोटाले पर विधानसभा शुरू होने से पहले उग्र हुई जा रही कांग्रेस विधानसभा के भीतर अचानक चुप हो गई। इसके चलते बाला बच्चन पर फिक्सिंग के आरोप लग रहे हैं। लोग सिर्फ यह जानना चाहते हैं कि कांग्रेस चुप क्यों है। क्या बाला के अलावा कांग्रेस के आला नेता भी इस फिक्सिंग के शामिल हैं।
विधानसभा के मानसून सत्र के पहले कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अरूण यादव ने एलान कर दिया था, कि सिंहस्थ के मुद्दे को लेकर सत्र में सरकार को चैन से नहीं बैठने देंगे लेकिन पांच हजार करोड़ रुपए के घोटाले के आरोपों को लेकर विधानसभा में ऐसा कुछ नहीं हुआ, जैसा कि ऐलान किया गया था। विधानसभा सत्र 18 जुलाई को शुरू हुआ। पहले और दूसरे दिन सिंहस्थ को लेकर सर्वाधिक सवाल विधायकों ने किए थे, लेकिन 18 जुलाई को हुई कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में कार्यवाहक नेता प्रतिपक्ष बाला बच्चन ने 19 जुलाई को गुरुपूर्णिमा होने की वजह से अवकाश रखने का प्रस्ताव रखा, जिसे मंजूर कर लिया गया और 19 जुलाई को विधानसभा में अवकाश रहा।
गुरुपूर्णिमा की छुट्टी का प्रस्ताव लाने वाले कार्यवाहक नेता प्रतिपक्ष बाला बच्चन और सरकार के बीच फिक्सिंग के आरोप लग रहे हैं। छुट्टी के कारण कांग्रेस को राजनीतिक नुकसान उठाना पड़ा वहीं सरकार को सिंहस्थ पर होने वाली किरकिरी से राहत मिल गयी। चर्चा है कि कांग्रेसी विधायकों ने इसकी शिकायत प्रदेश संगठन और एआईसीसी से की है। कांग्रेसी सूत्रों की माने तो बाला बच्चन को हाईकमान ने जबाब तलब भी किया है।
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि सिंहस्थ के आरोपों में घिरी सरकार ने सदन में किरकिरी से बचने के लिए शुरू से ही कोशिशें तेज कर दी थी और गुरूपूर्णिमा छुट्टी वाला विचार सरकार का ही था, इस विचार को आगे बढ़ाने के लिए सरकार ने कार्यवाहक नेता प्रतिपक्ष का सहारा लिया और उन्हें प्रस्ताव रखने के लिए तैयार कर लिया और मानसून सत्र में सरकार सिंहस्थ के आरोपों से बच निकलने में कामयाब हो गयी। अब शीतकालीन सत्र तक मुद्दा पुराना हो जाएगा।