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कैसी अजीब विडवना है कि स्टेट लेवल से mponline द्वारा चयन होने के वावजूद सरकार मात्र 6000/- प्रतिमाह के मासिक वेतन पर संविदा नियुक्ति देकर कैसे खुले आम श्रम कानूनों और मानव अधिकारों का खुला उलंघन करती है। सरकार जो न्यूनतम वेतन का नियम दूसरों के लिए बनाती है वो खुद उसका पालन नही करती। आज स्वास्थ्य विभाग में कई ऐसे संविदापद है जिनको कलेक्टर दर पर निर्धारित दैनिक मजदूरी से भी कम दर पर वेतन दिया जा रहा है और 3-3 माह से अधिक समय तक फंड न होने के कारण वेतन ना मिलना उस सरकारी प्रताड़ना को कई गुना बढ़ा देता है।
कभी कभी सोचता हूं कि विभाग में बैठे उच्च अधिकारी इन महत्वपूर्ण चीजो को कैसे अनदेखा कर सकते है और सिर्फ संविदा कर्मचारी कहकर कैसे सरकार खुलेआम श्रम कानूनों और मानव अधिकारों का मजाक उड़ा सकते हैं। क्या म प्र सरकार केवल एक आनंद मंत्रालय की स्थापना करके अपने दमन और उत्पीड़न को ढक सकती है। आज उक्त घटना से मन उदास है और सरकार के प्रति गुस्सा हैं और यह गुस्सा मप्र के सभी विभाग के संविदा कर्मचारियों में है जो अपने परिवार के पालन पोषण की जिम्मेदारी में दबे होने के कारण यह सरकारी शोषण को झेल रहे है। पर कब तक। आज आप सभी से अनुरोध है कि दिवंगत आत्मा को श्रद्धाजंलि दे और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें।
सुनील नेमा
जिला अध्यक्ष
संविदा स्वास्थ कर्मचारी संघ जबलपुर ।
+919425468684