इंदौर। सी-21 मॉल में लड़की के साथ घूम रहे महामंडलेश्वर शैलेषानंद गिरि को पद से हटा दिया गया है। यह डिसीजन अखाड़ों के अध्यक्ष ने सोशल मीडिया पर उनकी फोटो वायरल होने के बाद हुई जगहंसाई के बाद लिया। आरोपी को पायलट बाबा ने महामंडलेश्वर बनाया था और नाम दिया गया था शैलेषानंद गिरि। याद दिला दें कि इस मामले को सबसे पहले भोपाल समाचार डॉट कॉम ने सोशल मीडिया पर वायरल किया था। इसके बाद यह न्यूज लगातार 8 दिन तक टॉप 10 में ट्रेंड करती रही। (खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
बताया जाता है कि शैलेषानंद गिरि पर पहले उज्जैन के थाने में अपराधिक मामले भी दर्ज हो चुके हें। अब इन मामलों को लेकर अखाड़ा परिषद् भी एक पत्र उनके गुरू पायलट बाबा को लिखने जा रही है। पायलट बाबा के कई वर्षों से शिष्य रहे शैलेषानंद गिरि का उज्जैन सिंहस्थ 20 मई 2016 को महामंडलेश्वर पद पर अभिषेक किया गया था। शैलेषानंद के साथ दो अन्य लोगोंं को भी महामंडलेश्वर बनाया गया था, जिनको विवाद के चलते पहले ही महामंडलेश्वर पद से निष्कासित कर दिया था।
अखाड़ा परिषद् के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी ने बताया कि, महामंडलेश्वर का पद आचार्य का पद होता है। वे किसी भी परिस्थिति में सिले हुए वस्त्र धारण नहीं कर सकते, और अगर करते हैं तो उन्हें फिर महात्मा बनना पड़ता है। दोबारा दीक्षा लेकर शुरुआत करनी पड़ती है। जूना अखाड़े के महंत हरी गिरी जी महाराज ने फोन पर बताया कि, हमारे यहां जो एक बार सन्यासी बन जाता है वो पैंट-शर्ट में नहीं रह सकता है, इसलिए महामंडलेश्वर शैलेषानंद गिरि को उसी दिन पद से हटा दिया गया था। अब अखाड़ा परिषद् भी पायलट बाबा को माफ़ी मांगने के लिए पत्र लिखेेगा।