नई दिल्ली। 50 करोड़ रुपए के कथित घोटाले के मामले में गिरफ़्तार दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल के PS राजेंद्र कुमार को मंगलवार को पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें पांच दिन की CBI हिरासत में भेज दिया गया। राजेंद्र कुमार के अलावा सीबीआई द्वारा गिरफ्तार चार अन्य लोगों को भी 5 दिन की हिरासत में भेज दिया गया। सीबीआई ने कोर्ट से इनकी 10 दिन की रिमांड मांगी थी।
राजेंद्र अकेले दम पर सरकार को नियंत्रित करते थे : CBI
सीबीआई ने कोर्ट में कहा कि अरविंद केजरीवाल के शीर्ष नौकरशाह राजेंद्र कुमार 'शेषनाग' के जैसे थे, जो अकेले दम पर सरकार को नियंत्रित करते थे। सीबीआई ने कोर्ट में यह भी दावा किया कि उन्हें राजेंद्र कुमार को इसलिए गिरफ्तार करना पड़ा क्योंकि वह अपने खिलाफ जारी जांच को प्रभावित करने के लिए गवाहों को धमका रहे थे।
JUDGE का CBI से पहला सवाल...
राजेंद्र कुमार एवं अन्य आरोपियों को अदालत में पेश करते ही जज ने जांच एजेंसी से सबसे पहला सवाल यही पूछा कि 'जब केस में एफआईआर दिसंबर 2015 में दर्ज हुई तो इन सभी को अब गिरफ्तार करने की क्या जरूरत थी?
जांच में कुछ नए सबूत मिले हैं : CBI
इसके जवाब में सीबीआई ने दलील देते हुए कहा कि 'आरोपी राजेंद्र कुमार एक बड़े पद हैं। लोकसेवक हैं और वो लगातार गवाहों को प्रभावित कर रहे हैं, इसलिए इनकी गिरफ्तारी जरूरी थी। अभी इस मामले में मनी ट्रेल का पता लगाना है। कुछ और आरोपी भी हैं, लिहाजा उनके साथ इन लोगों को बिठाकर पूछताछ करनी है। जांच में कुछ नए सबूत सामने आए है। इसके अलावा आरोपी जांच में सहयोग नहीं कर रहे है।' सीबीआई ने ये दलीलें देते हुए आरोपियों की 10 दिन की हिरासत मांगी।
और कोर्ट में बजने लगीं तालियां...
वहीं, बचाव पक्ष के वकीलों ने गिरफ्तारी को गलत बताते हुए जांच एजेंसी की हिरासत की मांग का विरोध किया। बचाव पक्ष ने कोर्ट में कहा कि 'सीबीआई पॉलिटिकल मोटिवेटेड एजेंसी है।' इसका सीबीआई ने तो कड़ा विरोध किया, लेकिन वहां मौजूद लोगों ने तालियां बजा दीं।
सीबीआई का आरोप- फर्जी कंपनियों को पहुंचाया फायदा
दरअसल, सीबीआई का आरोप है कि राजेंद्र कुमार ने अलग-अलग महकमों की जिम्मेदारी संभालते हुए अपनों के नाम बनाई कई फर्जी कंपनियों को फायदा पहुंचाया। सूत्रों के मुताबिक एजेंसी की एफआईआर में कहा गया है कि 2006 में एंडेवर्स सिस्टम्स नाम की कंपनी बनाई गई। ये राजेंद्र कुमार और अशोक कुमार की फ्रंट कंपनी है। दिनेश कुमार गुप्ता और संदीप कुमार इसके निदेशक थे। ये कंपनी सॉफ्टवेयर और सॉल्यूशन मुहैया कराती थी।
2007 में राजेंद्र कुमार ने दिल्ली सरकार की ओर से हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की खरीद के लिए ICSIL का एक पैनल बनाने की प्रक्रिया शुरू की। 2007 में राजेंद्र कुमार दिल्ली ट्रांसपोर्ट लिमिटेड के सचिव बनाए गए। बिना उचित टेंडर के वे ठेके बांटते रहे। यह कुल मिलाकर 50 करोड़ रुपये का घोटाला है।
मनीष सिसोदिया ने कहा- यह दिल्ली सरकार को बदनाम करने की साजिश
राजेंद्र कुमार की गिरफ्तारी पर दिल्ली सरकार के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि केंद्र सरकार निचले स्तर पर उतर आई है। यह दिल्ली सरकार को बदनाम करने की साजिश है। दिल्ली सरकार के काम करने वाले अधिकारियों को हटाया जा रहा है। सिसोदिया ने कहा कि राजेंद्र कुमार की गिरफ्तारी पूरे सीएम दफ्तर को पंगु बनाने के मकसद से किया गया है। केंद्र सरकार राजनीतिक द्वेष की भावना से कदम उठा रही है।
पिछले साल 15 दिसंबर को सीबीआई ने मामले में मुख्यमंत्री कार्यालय के करीब राजेंद्र कुमार के दफ्तर में छापा मारा था। राजेंद्र कुमार के दफ्तर पर सीबीआई के छापे के बाद 'आप' सरकार और केंद्र सरकार के बीच तीखा आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला था। राजेंद्र कुमार 1989 बैच के आईएएस अफसर हैं और अरविंद केजरीवाल के दोबारा सत्ता में आने के बाद उन्हें मुख्यमंत्री का प्रधान सचिव बनाया गया। केजरीवाल की तरह राजेंद्र कुमार भी आईआईटी के छात्र रह चुके हैं।