भोपाल। मप्र के 48000 दैनिक वेतन भागी कर्मचारियों का वेतनमान तय कर दिया गया है। यह न्यूनतम (4440-7440) चतुर्थश्रेणी कर्मचारियों के बराबर होगा। सरकार 11 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में चल रही अवमानना सुनवाई के दौरान अपना जवाब पेश करेगी। सरकार के पास जवाब पेश करने का यह लास्ट चांस है।
दैवेभो को नियमित वेतनमान देने में लेटलतीफी को लेकर मप्र कर्मचारी मंच अध्यक्ष अशोक पांडेय ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका लगाई है। जिस पर 11 जुलाई को अंतिम सुनवाई है। इनमें सरकार को स्पष्ट करना है कि वह दैवेभो को कितना और कब से नियमित वेतनमान देगी। जवाब को लेकर हाल ही में मुख्य सचिव अंटोनी डिसा ने सभी विभागों के प्रमुख सचिवों की बैठक ली है। सूत्र बताते हैं कि सरकार ने कैबिनेट में निर्णय के लिए प्रस्ताव भी तैयार कर लिया है। इस फैसले से सरकार पर सालाना 58 करोड़ का अतिरिक्त भार आएगा।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने दैवेभो कर्मचारियों की याचिका पर 21 जनवरी 2015 को नियमित करने का फैसला सुनाया था। जब सरकार ने 8 माह तक कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया, तो मप्र कर्मचारी मंच सहित अन्य संगठन ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका लगा दी। जिसमें मुख्य सचिव से लेकर 7 विभागों के प्रमुख सचिवों को पार्टी बनाया गया था। 18 मार्च को पहली सुनवाई में सभी अफसरों को कोर्ट में उपस्थित होना पड़ा था। अफसरों ने आदेश का पालन करने के लिए कुछ समय मांगा।
इस पर कोर्ट ने 25 अप्रैल को हलफनामा पेश करने को कहा था। इसके बाद 13 मई का समय दिया और अब 11 जुलाई को सुनवाई होना है। इस बार कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि यह अंतिम सुनवाई होगी, जिसमें सरकार को हलफनामा देकर साफ करना है वह दैवेभो को क्या देगी।