स्कूल और आंगनवाड़ी केन्द्रों में अबोध बच्चों से बर्तन धुलवाए जाते हैं | Damoh News

Bhopal Samachar
सुरेश नामदेव/पथरिया। विकासखंड के अंतर्गत आने वाले लगभग सभी सभी स्कूलों और आंगनवाड़ी केन्द्रों में भोजन के बाद बच्चों से ही बर्तन धुलवाने की प्रथा लगभग सभी ग्रामों में चली आ रही है। समूह संचालकों द्वारा शासन की इस महत्वपूर्ण योजना को सिर्फ अपनी कमाई का जरिया ही माना जा रहा है। पतली दाल और चावल बच्चों की थाली में डालकर उनके द्वारा अपने दायित्वों को पूरा कर रहे हैं समूह संचालक। न तो बच्चों के बैठने उठने का कोई अनुशासन होता है और न ही खाने का यहां तक कि बच्चों को खाना खाने के बाद हैंडपंप पर जाकर स्वयं ही अपने बर्तन धोने पड रहे हैं।

नवीन माध्यमिक शाला मेहलवारा में बच्चों द्वारा खाना खाने के बाद स्वयं ही बर्तनों को धेाते हुये देखा गया कोई खडे होकर प्लास्टिक के डिब्बे में से खा रहा है तो कोई इधर उधर धूल मिटटी में बैठकर न ही बैठने का कोई अनुशासन और नही खाने का जिसकी जिम्मेदारी न तो समूह संचालक उठााना चाहते हैं और न ही शिक्षक वहीं जब बच्चों द्वारा स्वयं ही अपने खाने के बर्तन धोने के संबंध में शिक्षक आशीष जैन से बात की गई तो उन्होंने बताया कि हमेशा से ही और हर जगह बच्चे स्वयं ही बर्तन धोते है यह कोई पहला स्कूल नहीं है जहां एसा होता है।

वहीं ग्राम के आंगनबाडी केन्द्र क्रमांक में खाना खाने के बाद बच्चे स्वयं ही बर्तन धो रहे थे केन्द्र में मात्र चौदह बच्चे ही उपस्थित पाये गये कार्यकर्ता सुशीला पाल तो आंगनबाडी केन्द्र में मौजूद ही नहीं पाई गई सहायका राजकुमारी पाल ने बताया कि बच्चों की दर्ज संख्या के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है यह कार्यकर्ता को ही पता होगा हम तो कभी भी पूंछते हैं तो हमें कोई जानकारी नहीं दी जाती कहा जाता है कि तुम्हें क्या करना है और हाजिरी भरने के लिये रजिस्टर के बारे में पूछने पर सहायका ने बताया कि रजिस्टर उन्हीं के पास रहता है हाजिरी वो भर लेती है।

ग्राम पीपरखिरिया के प्राथमिक शाला में भोजन के लिये बच्चों को बर्तन घर से लाना पडते हैं शाला में थालियां तो है लेकिन खो जाने के डर से शिक्षकों द्वारा बच्चों को थालियां न देकर बर्तन घर से लाने के लिये कहा जाता है और बच्चों द्वारा खुद अपने बर्तन धोने के संबंध में ज्यादातर समूह संचालकों का कहना है कि सभी जगह बच्चे स्वयं ही बर्तन धोते हैं। आंगनबाडी कार्यकर्ताओं और समूह संचाालकों की मनमानी प्रायः सभी ग्रामों मे इसी प्रकार चल रहीं है लेकिन उच्च अधिकारियों को इस सब की जानकारी होने के बाद भी कार्यावाही न करना एक विचार करने योग्य विषय है।

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