इंदौर। जिला अस्पताल में फर्जी जन्म प्रमाण-पत्र जारी किए जाने के मामले में सिविल सर्जन को निलंबित कर दिया गया। कलेक्टर की जनसुनवाई में लगभग डेढ़ महीने पहले जिला अस्पताल में गलत तरीके से जन्म प्रमाण-पत्र बनाने की शिकायत हुई थी। कलेक्टर ने सीएमएचओ को शिकायत की जांच करने के निर्देश दिए थे। इसके लिए चार डॉक्टरों की कमेटी बनाई गई थी। जांच में पाया गया कि कई प्रमाण-पत्र गलत तरीके से बनाए गए हैं।
सिविल सर्जन डॉ. रतन खंडेलवाल के हस्ताक्षर से 2007 के जन्म के पहले के भी कई ऑनलाइन जन्म प्रमाण-पत्र जारी हो गए, जबकि इसके पहले सिर्फ मैन्यूअल प्रमाण-पत्र ही बनते थे। इसके बदले पैसे लेने का भी आरोप लगा था।
रिपोर्ट के मुताबकि उनके कार्यकाल में करीब 70-80 प्रमाण-पत्र ऑनलाइन जारी किए गए। बताया जा रहा था कि डाटा एंट्री ऑपरेटर की भी इसमें मिलीभगत है। उसने बताया था कि अस्पताल की पर्ची पर ही आवेदक का नाम लिखकर दिया जाता था। इसके आधार पर वह प्रमाण-पत्र बनता था। जन्म प्रमाण-पत्र बनाने के सॉफ्टवेयर का पासवर्ड सिविल सर्जन के अलावा अन्य किसी के पास नहीं होता।
जांच रिपोर्ट के आधार पर कलेक्टर पी. नरहरि ने निलंबन का प्रस्ताव कमिश्नर संजय दुबे को सौंपा था। कमिश्नर ने निलंबन पर मुहर लगा दी।
डॉ. आचार्य को दिया प्रभार
जिला अस्पताल का प्रभार डॉ. दिलीप आचार्य को दिया गया है। डॉ. खंडेलवाल के पहले डॉ. आचार्य ही सिविल सर्जन थे, लेकिन उन्होंने खुद ही कुर्सी छोड़ी थी। अब प्रशासन ने फिर से उन्हें जिम्मेदारी सौंपी है।