इंदौर। मध्यप्रदेश के 113 कौशल विकास केंद्र से निकाले गए, 700 कर्मचारियों के हित में हाईकोर्ट की इंदौर बेंच द्वारा उन्हें वापस लेंने के आदेश दिए गए परंतु अधिकारियों ने हाईकोर्ट के आदेश को भी नकार दिया। आईटीआई के नोडल अधिकारी जो की प्रिंसिपल होते है उन्होंने कर्मचारियों को वापस लेने से मना कर दिया है।
विदित हो की मध्यप्रदेश के 113 कोशल विकास केन्द्र के 700 कर्मचारियों, जो की 4 साल से निरंतर एक सामान वेतन 7200 पर कार्यरत थे, जिनको 16 मई को विभाग के संचालक श्री संजीव सिंह द्वारा बिना किसी नोटिस और कारण बताए निकाल दिया गया था।
कर्मचारियों द्वारा कोर्ट में केस दायर करने के बाद विभाग ने पहले कहा हम कौशल विकास केंद्र बंद कर रहे है, बाद में अतिरिक्त संचालक जी.एन. अग्रवाल द्वारा बोला गया हम कौशल विकास केंद्र को आईटीआई में बदल रहे है। जब की इंदौर हाई कोर्ट में इंदौर संभाग के संयुक्त संचालक डी.एस ठाकुर द्वारा बताया गया। शासन के पास पर्याप्त बजट और कोशल विकास केंद्र को बंद किया किया जा रहा, विरोधाभास बयान के कारण इंदौर हाइकोर्ट ने फैसला कर्मचारियों के हित में देते हुए स्टे 19 सितंबर तक के लिए दिया और आगामी आदेश तक कर्मचारियों को काम पर रखने के आदेश दिया लेकिन आईटीआई के नोडल अधिकारी जो की प्रिंसिपल होते है उन्होंने कर्मचारियों को वापस लेने से मना कर दिया गया है।
मध्यप्रदेश सरकार एक और प्रदेश के लाखो बेरोजगार लोगो को रोजगार देने की बात करती है वही mponline द्वारा आयोजित परीक्षा देकर नौकरी करने वाले कौशल विकास के कर्मचारियों को, जो कि खुद कौशल विकास केंद्र में बेरोजगार लोगो को ट्रेनिंग दे कर रोजगार लायक बनाते थे उनके परिवार को भूखे मरने को छोड़ दिया है।