...तो महिला कर्मचारी की मौत पर अनुकंपा नियुक्ति अनुचित: High Court | Compassionate appointment

इलाहाबाद। माता-पिता दोनों नौकरी में हैं तो मां की मृत्यु पर बेटे की मृतक आश्रित कोटे के तहत नौकरी की मांग अनुचित है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की दो न्यायाधीशों की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया है। इससे पहले इसी केस में एकल पीठ ने भी यही फैसला दिया था। खंडपीठ ने उस फैसले को सही ठहराया।

न्यायमूर्ति अरुण टंडन एवं न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल की खंडपीठ ने एकल पीठ के फैसले की पुष्टि करते हुए बेटे की विशेष अपील खारिज कर दी। मामले के तथ्यों के अनुसार याची संतोष कुमार भारती की मां कौशल्या देवी बलिया जिले के सीनियर प्राइमरी स्कूल बिसार की प्रधान अध्यापिका थीं। 15 दिसंबर 2012 को सेवाकाल में उनकी मृत्यु हो गई। बेटे ने मृतक आश्रित कोटे के तहत नौकरी के लिए आवेदन किया। विभाग ने यह कहते हुए संतोष का आवेदन निरस्त कर कर दिया कि उसके पिता राम नगीना जीवित हैं और वह भी सरकारी नौकरी कर रहे हैं। पिता के सरकारी नौकरी में रहते हुए वह यह नहीं कह सकता कि वह केवल मां का ही आश्रित रहा है। ऐसी स्थिति में मृतक आश्रित कोटे में नौकरी की मांग अनुकंपा नियुक्ति की योजना के विपरीत है।

संतोष ने इस आदेश को याचिका के माध्यम से चुनौती दी तो न्यायमूर्ति बी अमित स्थलकर ने उसकी मांग को अनुचित करार देते हुए याचिका खारिज कर दी। इसके बाद उसने विशेष अपील दाखिल की। दो न्यायाधीशों की खंडपीठ ने स्पेशल अपील खारिज करते हुए एकल न्यायाधीश के फैसले पर मुहर लगा दी।

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