भोपाल। वित्तीय अधिकार ना मिलने से नाराज आईएएस रमेश थेटे ने अपने सीनियर आईएएस अफसर राधेश्याम जुलानिया के खिलाफ जातिवाद का कार्ड तो खेल लिया लेकिन इस बार उनका वार दमदार नहीं रहा। उन्होंने एक आॅडियो रिलीज किया लेकिन उसमें जातिवाद जैसा कुछ नहीं था, अलबत्ता इतना जरूर समझ आ रहा था कि वो मनचाही पॉवर ना मिलने से नाराज हैं। उन्होंने धमकी दी कि यदि मनचाहे अधिकार नहीं मिले तो भ्रष्टाचार के राज खोल दूंगा, बदले में सरकार ने नोटिस थमा दिया। उम्मीद थी कि थेटे कम से कम एक घोटाला तो खोलेंगे, लेकिन उन्होंने वही पुरानी धमकियां देकर प्रेसमीट समाप्त कर दी।
उन्होंने खुद को बाबा साहब का सिपाही और सरकार को दलित विरोधी बताते हुए कि, मुझ पर रोहित वेमुला की अत्याचार किया जा रहा है। मध्य प्रदेश सरकार के पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग के सचिव रमेश थेटे ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि, आला अफसरों की चौकड़ी मुझे सुसाइड करने को मजबूर कर रही है। थेटे ने जल संसाधन विभाग के एसीएस राधेश्याम जुलानिया पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाए हैं।
आईएएस अफसर ने अपील करते हुए सर्व समाज के लोगों से समर्थन मांगा है। थेटे ने कहा है कि, मीडिया के सामने ये मेरी आखिरी वार्ता है। यह पत्रकार वार्ता नहीं केवल सामान्य चर्चा है। मैंने भ्रष्ट अफसरों के नाम लिफाफे में बंद करके रख दिए हैं। मेरी मौत के बाद ही ये लिफाफा खुलेगा।
उल्लेखनीय है कि, पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग के सचिव रमेश थेटे को कारण बताओ नोटिस भेजने पर बवाल खड़ा हो गया है। विभाग के अपर मुख्य सचिव राधेश्याम जुलानिया के खिलाफ गंभीर आरोप लगाने और आॅफीसियल बातचीत का ऑडियो वायरल करने के मामले शासन ने थेटे को नोटिस जारी किया है। 19 जुलाई तक सरकार ने थेटे से जवाब मांगा है।