नई दिल्ली। देश की 75 फीसद आबादी यानी 90 करोड़ लोग दो कमरे या इससे भी छोटे घर में जीवनयापन करते हैं। आबादी का यह आंकड़ा योरप की आबादी (74 करोड़) से अधिक है। वहीं 3 कमरों का घर महज 9 फीसद (10.6 करोड़) लोगों को नसीब है। केंद्र सरकार द्वारा पिछले माह जारी आंकड़ों के मुताबिक, 90 करोड़ में से 60.3 करोड़ लोग ग्रामीण इलाकों में रहते हैं इनमें से 20 प्रतिशत आबादी या 26.2 करोड़ लोग शहरों में रहते हैं।
वर्ष 2014 में किए गए सर्वे के जारी आंकड़ों के मुताबिक, भारत में लोगों की आय और उनके घर के आकार में कोई संबंध नहीं दिखा। यानी देश के कई गरीबतम राज्यों में बड़े-बड़े घर पाए गए। वहीं अमीर राज्यों में छोटे-छोटे घर पाए गए।
दूसरी तरफ अमेरिका के कृषि विभाग की मानें तो अगले 10 वर्षों में दुनिया में अधिकांश को भरपेट भोजन मिलने लगेगा। विभाग ने यह जिक्र हाल ही में जारी रिपोर्ट में किया है। इसके मुताबिक, अधिक जनसंख्या के बावजूद 2026 तक दुनियाभर में खाद्य सुरक्षा की स्थिति सुधरेगी।
भारत के अजब लोग-गजब तुलना
31.5 करोड़ विद्यार्थी हैं भारत में। यह संख्या रूस, पाकिस्तान और इंडोनेशिया की आबादी के बराबर है।
5 करोड़ से ज्यादा लोग छह प्रमुख भाषा बोलते हैं। हिंदी, मराठी, उर्दू, बंगाली, तेलुगु।
करीब 30 करोड़ भारतीय नौकरी या व्यवसाय करते हैं। यह संख्या इंडोनेशिया की जनसंख्या से भी ज्यादा है।
75 लाख लोग रोज मुंबई लोकल में सफर करते हैं। यह आंकड़ा पापुआ न्यू गिनी की आबादी के बराबर है।
12.5 करोड़ भारतीय अंग्रेजी बोलते हैं। यह आंकड़ा यूनाइटेड किंग्डम की कुल आबादी से दोगुना है।
14 लाख कर्मचारी भारतीय रेल में सेवारत हैं। यह संख्या मॉरिशस, आइसलैंड जैसे 10 से ज्यादा देशों की आबादी के बराबर है।
6.5 करोड़ से ज्यादा लोग बस्तियों में रहते हैं। यह संख्या थाईलैंड की कुल जनसंख्या के बराबर है।