रांची। झारखंड कैडर की साल 2010 की आईपीएस अफसर और एंटी करप्शन ब्यूरो रांची की एसपी कुसुम पुनिया को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सेवामुक्त कर दिया है। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद यह पहला मौका है, जब किसी आईपीएस अफसर को प्रोबेशन पीरियड में ही हटाया गया है। पुनिया के अलावा पश्चिम बंगाल के आईपीएस अफसर कुमार गौतम को भी सेवामुक्त किया गया है।
पुनिया वर्ष 2011 बैच के साथ नेशनल पुलिस एकेडमी में आईपीएस की ट्रेनिंग में शामिल हुई थीं लेकिन उन्होंने फाउंडेशन कोर्स में स्वीिमंग की परीक्षा पास नहीं की। इस वजह से वह नौकरी में योगदान देने के बाद से अब तक प्रोबेशन पर रहीं और उनकी सर्विस कंफर्म नहीं हो पाई। एसीबी एसपी के रूप में उनकी दूसरी पोस्टिंग थी। इससे पहले वह जामताड़ा की एसपी रह चुकी हैं। नेशनल पुलिस एकेडमी ने उन्हें कई बार ट्रेनिंग पूरी करने का निर्देश दिया लेकिन उन्होंने हर बार इसे अनदेखा कर दिया।
फिर उन्होंने अपने खराब स्वास्थ्य का हवाला देकर ट्रेनिंग में जाने से छूट मांगी। उनके इस आग्रह पर पुलिस एकेडमी ने मेडिकल बोर्ड का गठन कर दिया और पुनिया को पेश होने को कहा लेकिन वह बोर्ड के सामने भी पेश नहीं हुईं। इसकी रिपोर्ट मिलने के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसे सख्ती से लिया।
विशेष दूत से भेजा गया था नोटिस
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जुलाई 2015 में कुसुम पुनिया को शो कॉज नोटिस जारी करते हुए स्पष्टीकरण मांगा। गृह मंत्रालय ने उनसे पूछा कि ट्रेनिंग पूरी न करने की स्थिति में उन्हें सेवा से बर्खास्त क्यों न कर दिया जाए। यह नोटिस गृह विभाग ने राज्य सरकार को भेजा था। फिर इसे पुलिस मुख्यालय को भेजा गया, जहां से विशेष दूत से नोटिस को जामताड़ा भेजा गया। उस समय वह जामताड़ा एसपी के रूप में पदस्थापित थीं।
सरकार ने भी मांगा था एक मौका
केंद्रीय गृह मंत्रालय के इस नोटिस के बाद झारखंड पुलिस और राज्य सरकार की ओर से पुनिया को एक और मौका देने का आग्रह किया गया था लेकिन अंतत: उन्हें बर्खास्त करने का आदेश जारी कर दिया गया। एडीजी ऑपरेशन सह पुलिस प्रवक्ता एसएन प्रधान ने शुक्रवार को उन्हें सेवामुक्त किए जाने की पुष्टि की है।