पढ़िए, IPS की तैयारी कर रही अनुराधा का रोंगटे खड़े कर देने वाला सुसाइड नोट

गुडगांव। 'पापा मैं आईपीएस बनना चाहती थी, लेकिन बच्‍ची (आरोपी का नाम) ने मुझे इतना बदनाम कर दिया कि अब जीने की इच्‍छा ही नहीं रही। मेरी आग को चिता तबतक ना दी जाए जब‍तक वो गिरफ्तार ना हो जाए। पुलिस इनका का वह हाल करे कि ये कभी भी किसी की बेटी की बेइज्जती ना करें।' कुछ ऐसी ही दर्दभरी दास्‍तां अनुराधा ने कागज पर लिखा और फिर मौत को गले लगा लिया। मामला हरियाणा के पिंजौर जिले का है। 

यहां के रायतन क्षेत्र में एक छोटे से गांव गवाही में रहने वाली 24 साल की लड़की अनुराधा ठाकुर ने कामयाबी के कई सपने देखे थे। उन सपनों को पूरा करने के लिये वो रात दिन मेहनत कर रही थी। वह आईपीएस बनना चाहती थी लेकिन एक मनचले की सनक ने उसके सपनों को चकनाचूर कर दिया। अनुराधा ने अपने दर्द को चार पन्‍नों में बंया किया और 14 जुलाई की सुबह फांसी लगाकर खुदकुशी कर लिया।

अनुराधा ने पांच लोगों पर बदनाम करने का आरोप लगाया है। परिजनों ने बताया कि 20 दिन पूर्व अनुराधा ने उन्हें बताया था कि बच्ची उसे बदनाम कर रहा है। आरोपी बच्ची ने ही अनुराधा के लिए आए चार रिश्ते नहीं होने दिए। इसकी शिकायत उन्होंने बच्ची के परिवार वालों से भी की थी।

क्‍या लिखा था सुसाइड नोट में
अनुराधा ने अपने सुसाइड नोट में लिखा है कि 'पापा मैं जीना चाहती हूं पर मुझे इतना बदनाम कर दिया है कि मैं जी नहीं सकती। मेरा दाह संस्कार तब तक न करना जब तक कि पुलिस बच्ची को गिरफ्तार न कर ले। पुलिस अंकल अपनी बेटी समझ कर केस सॉल्व करना। वो बहुत गलत इंसान है बहुत ज्यादा घटिया। ऐसे इंसान के साथ में घर बसाने से तो अच्छा है कि मैं अपनी जान भी दे दूं। मुझे अपनी मीठी बातों में फंसा कर वह मुझसे बातें कर रहा था और मैं उसे समझ नहीं पाई, नफरत हो गई है उससे। मेरे पापा ने बहुत मेहनत करके हमारा पालन पोषण किया है और मैं उनकी मेहनत की कदर भी नहीं कर पाई। प्यार बहुत करती हूं अपनी फैमिली से. मेरी फैमिली बहुत अच्छी है। मैं जीना नहीं चाहती इतनी बेबस हो गई है जिंदगी कि अब हिम्मत नहीं रही जीने की। और इसका जिम्मेदार सिर्फ बच्ची और इसके साथ महिपाल। महिपाल के पापा, उसकी मम्मी और संगीता। इन सब ने मिलकर मुझे बर्बाद कर दिया है। अगर मुझे कुछ हो जाए तो इन पांच इंसानों को पुलिस रिमांड में भेजना। कंपलेंट करना इनके खिलाफ। और मेरी इच्छा यही है कि पुलिस इनका का वह हाल करे कि ये कभी भी किसी की बेटी की बेइज्जती ना करें।

बच्ची मुझे कहता है अगर मरना तो मर जा पर छोडूंगा नहीं। बच्ची, तुझे एक बद्दुआ है मेरी कि तुम्हारी बेटियां एक दिन तुमको ऐसे ही खून के आंसू रुलाएंगी। उस दिन तुम्हें एहसास होगा कि किसी की बहन और बेटी की बेइज्जती करना क्या होता है। पापा मुझे पता है मेरे ऐसा करने से आपको आपकी बेटी तो वापस नहीं मिलने वाली, पर क्या करूं उस कमीने इंसान का नाम जुड़ गया है मेरे साथ। और वो तलाक तक नहीं मिटेगा जब तक मैं नहीं मिट जाऊं।'

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