दुनिया भर में सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र (आईटी सेक्टर) की नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है। इसका नतीजा है कि अगले पांच सालों में आईटी सेक्टर से जुड़े 14 लाख लोगों की नौकरी जा सकती है।
अमेरिका स्थित शोध संस्था एचएफएस रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया में आईटी सर्विस इंडस्ट्री में 'लो स्किल्ड लेबर' की नौकरियां समाप्त हो सकती हैं। अगले पांच सालों यानी 2021 तक अमेरिका, फिलीपींस, ब्रिटेन समेत भारत में आईटी सेक्टर से जुड़े 14 लाख कर्मचारियों की नौकरी से छंटनी की जा सकती है। भारत में करीब 6.4 लाख "कम प्रतिभाशाली" लोगों की नौकरियां जा सकती हैं।
शोध संस्था का मानना है कि पूरी दुनिया के आईटी सेक्टर में नेट 9 प्रतिशत कर्मचारियों की कमी की जा सकती है। 'लो स्किल्ड' जॉब्स में 30 फीसदी की कमी आएगी। हालांकि 'मीडियम स्किल्ड' जॉब्स में 8 फीसदी और 'हाई-स्किल्ड' नौकरियों में 56 फीसदी का उछाल आएगा।
बताया जा रहा है कि बीपीओ इंडस्ट्री को अगले दो सालों में रोबोटिक प्रॉसेस ऑटोमेशन की समस्या का सामना करना पड़ेगा। यह वाकई कठिन चुनौती है। रिपोर्ट में बताया गया है कि 'लो स्किल्ड' का मतलब वे लोग हैं जो केवल एक निर्धारित प्रक्रिया का ही पालन करते हैं और एक ही तरह की चीजें बार-बार करते रहते हैं, साथ ही उन्हें शैक्षिक योग्यता बहुत ज्यादा नहीं चाहिए। मीडियम स्किल्ड में वे लोग आते हैं जिन्हे इस प्रक्रिया के अंतर्गत मानवीय निर्णय लेने पड़ते हैं और वो ज्यादा चुनौतीपूर्ण समस्याओं का सामना करते हैं।
एचएफएस की यह रिपोर्ट 1,477 उद्योगपतियों के सर्वेक्षण पर आधारित है। हालांकि भारत की संस्था नासकॉम का कहना है कि शोध संस्था द्वारा नई तकनीक से पैदा होने वाली नौकरियों को इसमें शामिल नहीं किया गया है।
नासकॉम की उपाध्यक्ष संगीता गुप्ता ने कहा, "हकीकत में कोई यह नहीं देख रहा कि ऑटोमेशन और रोबोटिक्स कहां ले जाएंगे. ऑटोमेशन का कुछ प्रभाव तो जरूर पड़ेगा लेकिन कुल मिलाकर हमारा मानना है कि नई तकनीक अपनाने से सभी क्षेत्रों में नौकरियां बढ़ेंगी. फोकस स्किल (प्रतिभा) पर बढ़ेगा, न कि स्केल (पैमाने) पर।