कलाम मुसलमान थे इसलिए उनकी मूर्ति नहीं बननी चाहिए: JUC

Bhopal Samachar
नईदिल्ली। तमिलनाडु की एक मुस्लिम संस्था ने भारत के पूर्व राष्‍ट्रपति और प्रख्‍यात वैज्ञानिक स्‍वर्गीय एपीजे अब्‍दुल कलाम की मूर्ति बनाए जाने का विरोध किया है। जमातुल उलेमा काउंसिल का तर्क है कि कलाम मुसलमान थे, इसलिए उनकी मूर्ति नहीं बननी चाहिए। संस्‍था का कहना है कि शरीयत के मुताबिक इस्‍लाम में मूर्ति पूजा नहीं की जा सकती है, ऐसे में अब्‍दुल कलाम की प्रतिमा बनाया जाना गलत है। मालूम हो कि अब्‍दुल कलाम को उनके उनके पैतृक जिले रामनाथपुरम के रामेश्‍वरम में दफनाया गया था। भारत सरकार उसी जगह पर उनकी मूर्ति और स्‍मारक बनवा रही है। 

अंग्रेजी अखबार ‘द हिंदू’ के मुताबिक मुस्‍लिम संस्‍था ने कलाम की मूर्ति बनने से रोकने के लिए उनके परिवार से भी बात की है। कलाम के नाती एपीजेए सलीम ने बताया कि मुस्‍लिम संस्‍था की ओर से परिवार को सख्‍त हिदायत दी गई है कि वे मूर्ति निर्माण का विरोध करें। हालांकि एपीजेए सलीम ने यह भी कहा कि अगर उस जगह कलाम की मूर्ति बनती है तो संस्‍था चाहकर भी कुछ नहीं कर सकती है। संस्था के अध्‍यक्ष ए वलीयुल्ला नूरी का कहना है कि कलाम चाहते थे कि युवा कुछ बड़ा करने के सपने देखें और उन्हें हकीकत में बदलें। ऐसे में कलाम की इच्छा को पूरा करना उन्हें सम्मान देने का सबसे अच्छा तरीका है। अच्छा यही होगा कि कलाम के भारत को मजबूत करने के विजन के साथ चला जाए।

इस बार गुरु पूर्णिमा के दिन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने संसद में कहा था कि रामेश्वरम में 27 जुलाई को पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के स्मारक के लिए जल्द ही आधारशिला रखी जाएगी। कलाम के स्‍मारक के लिए पांच एकड़ भूमि की मांग की गई है, लेकिन अभी केवल 1.8 एकड़ जमीन मिल पाई है। पर्रिकर ने कहा था कि स्मारक के लिए डिजाइन को अंतिम रूप दिया जा चुका है और अब हम अतिरिक्त भूमि के लिए इंतजार भी नहीं कर रहे हैं। मालूम हो कि साल 2015 के जुलाई महीने में अब्‍दुल कलाम की मौत हो गई थी। इसके बाद परिवार वालों की इच्‍छा के मुताबिक उन्‍हें हिन्दुओं का तीर्थस्थल रामेश्वरम में दफनाया गया था।

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