
इन दोनों ही डिश की ईजाद करने वाले थे कुन्दन लाल गुजराल। दिल्ली में मोती महल रेस्टोरेंट के पूर्व मालिक, जिसकी दिल्ली में आज कई चेन हैं। बंटवारे के बाद 1950 में गुजराल दिल्ली आए और ‘दरियागंज’ में मोती महल नाम का रेस्टोरेन्ट खोला। यहीं से उन्होंने बटर चिकन और दाल मखनी बनाई। उन्होंने यह रेस्टोरेन्ट स्पेशली तन्दूर खाने के लिए ही खोला था और इस काम में कामयाब भी हुए।
दरअसल, गुजराल तंदूरी चिकन को रीहाईड्रेट करने के लिए एक सॉस की जरूरत थी, ये सॉस ही ‘बटर चिकन’ को अस्तित्व में ले आया। इस सफल एक्सपेरिमेंट के बाद उन्हें अपनी नॉनवेज डिश की एवज में एक वेजिटेरियन डिश की जरूरत थी, तो दाल मखनी सामने आई।
जवाहर लाल नेहरु, इंदिरा तक चख चुके हैं इनकी डिश
पहले पीएम जवाहर लाल नेहरु से लेकर इंदिरा गांधी, पूर्व राष्ट्रपति जाकिर हुसैन ने भी गुजराल के बनाए डिशेज को चखा है। इसके अलावा पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फीकार अली भुट्टो पूर्व अमेरिकी प्रेसिडेंट निक्सॉन ने भी मोती महल में दाल मखनी और बटर चिकन का जायका लिया है। आज इनका स्वाद दुनियाभर में फैला हुआ है। भारत में इसकी 120 चेन्स हैं। इसके अलावा दुनिया के अलग-अलग हिस्सों पर फैली हैं।
पोता संभाल रहा है बिजनेस
कुंदनलाल के पोते मौनिश गुजराल अब ‘मोती महल’ के बिजनेस को संभाल रहे हैं। समय के साथ-साथ ये अपने मेन्यू में दूसरी डिशेस को भी जोड़ते गए। हालांकि इनके द्वारा बनाई जाने वाली दाल मखनी और बटर चिकन सबसे बेहतर होते हैं।