
पिछले साल तक प्रदेश के निजी कॉलेजों में 43 फीसदी सीटें डीमेट कोटे से भरी जा रही थीं और 42 फीसदी स्टेटे कोटे से। स्टेट कोटे की अनरिजर्व सीटों में किसी भी राज्य का उम्मीदवार एडमिशन ले सकता था। पिछले दो सालों से काउंसलिंग में मप्र के मूल निवासी उम्मीदवार इसके विरोध में थे। वे काउंसलिंग में कई बार हंगामा भी कर चुके हैं। लिहाजा इस साल से राज्य सरकार नियमों में बदलाव करने की तैयारी में है, जिससे अनरिजर्व सीटों में सिर्फ मप्र के मूल निवासी उम्मीदवारों को मौका मिल सके।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर इस साल से डीमेट बंद हो गई। अब सिर्फ नीट के जरिए निजी मेडिकल कॉलेजों की सीटें भरी जाएंगी। इन सीटों में एडमिशन संचालनालय चिकित्सा शिक्षा देगा। लिहाजा संचालनालय अब ऑल इंडिया के उम्मीदवारों को रोकने की कवायद कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने मई में यह व्यवस्था दी है कि राज्य सरकार निजी कॉलेजों में एडमिशन के नियम बना सकती है। इसी आधार पर बाहरी राज्यों के छात्रों को रोकने का नियम बनाया जा रहा है।