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MP के 23 हजार पंचायत सहायक सचिव STRIKE की तैयारी में

ग्वालियर। जिला पंचायत के अंतर्गत आने वाले प्रदेश के 23 हजार सहायक सचिव फिर से हड़ताल पर जा सकते हैं। गत जनवरी माह में प्रदेशभर के सहायक सचिव नियमित किए जाने की मांग को लेकर हड़ताल पर चले गए थे। तब सीएम शिवराज सिंह चौहान ने अप्रैल माह तक उन्हें नियमित करने का भरोसा दिया था लेकिन सहायक सचिवों को दिया उनका भरोसा पूरा नहीं होता देख सहायक सचिव फिर से हड़ताल पर जाने की तैयारी कर रहे हैं। सहायक सचिवों को गांवों के बेरोजगार लोगों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराने और उनका भुगतान कराने में मदद के लिए भर्ती किया गया था।

बाद में उनसे पंचायतकर्मी के बराबर काम लिया जाने लगा। इसके बदले में 5 हजार मानदेय भी 6-6 माह के इंतजार के बाद दिया जा रहा है। प्रदेशभर की पंचायतों में सहायक सचिव रीढ़ की हड्डी की तरह हैं। संविदा कर्मचारी के बावजूद पंचायतों के सभी महत्वपूर्ण काम इन्हीं से कराए जा रहे हैं। इनके हड़ताल पर जाने से प्रदेश की ग्रामीण जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

सहायक सचिव पहले रोजगार सहायक कहलाते थे। रोजगार सहायक के रूप में इनकी भर्ती महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत हुई थी। भर्ती पूरी तरह से संविदा पर थी। मानदेय भी तय था 5 हजार रुपए प्रतिमाह । प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक रोजगार सहायक नियुक्त किया गया था।

उसका काम था गांव के ऐसे बेरोजगार लोगों की डिमांड पंचायत कार्यालय पहंुचाना, जिन्हें 100 दिन के अनिवार्य काम की दरकार थी। इसके लिए ये लोग मस्टर बनाने और पैमेंट दिलाने का काम करते थे। प्रदेशभर में वर्ष 2008 से लेकर अब तक कुल 23 हजार सहायक सचिव इस योजना में भर्ती किए गए। ग्वालियर में वर्ष 2012 में 250 रोजगार सहायकों की भर्ती हुई। बाद में इनका पदनाम रोजगार सहायक से बदलकर सहायक सचिव कर दिया गया।

ग्वालियर के सहायक सचिव मानदेय को तरसे
नियमित किए जाने की मांग से इतर ग्वालियर के रोजगार सचिवों को तो पिछले छह माह से उनका मानदेय तक नहीं दिया गया है। मुरार क्षेत्र के सहायक सचिव देवेन्द्र कुशवाह के अनुसार ऐसे लगभग 200 से अधिक सहायक सचिव हैं, जिन्हें 5 हजार रुपए प्रतिमाह दिए जाने वाले मानदेय के लिए भी छह-छह माह का इंतजार करना पड़ रहा है।

संविदा कर्मचारियों से ले रहे पंचायत के महत्वपूर्ण काम
संविदा पर रखे गए रोजगार सहायक या सहायक सचिवों से उनके मूल काम के अतिरिक्त जन्म-मृत्यु पंजीयन, पंच-परमेश्वर योजना के ऑनलाइन बिला पास कराना, वृद्धा पेंशन बनवाना, समग्र आईडी बनवाना, बीएलओ का कार्य, चुनावों में ड्यूटी, फसल मुआवजा का सर्वे जैसे काम कराए जा रहे हैं। ये पूरी तरह पंचायत सचिवों के काम हैं।

अतिरिक्त मुख्य सचिव ने मंत्री से कहा-दो महीने समझ लेने दो
ग्राम रोजगार सहायक कर्मचारी संघ के बैनर तले कुछ दिन पूर्व प्रदेशभर के सहायक सचिव पंचायत मंत्री गोपाल भार्गव से मिले। मंत्री भार्गव ने जब इस मामले को निपटाने के लिए अतिरिक्त मुख्य सचिव राधेश्याम जुलानिया को निर्देश दिए तो उन्होंने मंत्री से कहा कि दो महीने मुझे इस मामले को समझ लेने दो, उसके बाद देखते हैं। मंत्री को जब श्री जुलानिया ने यह जवाब दिया, तब रोजगार सहायक संघ के पदाधिकारी वहां मौजूद थे। प्रदेश सरकार से मामला हल होता न देख फिर से हड़ताल पर जाने की तैयारी की जा रही है।

इनका कहना है
पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव अरुणा शर्मा ने 50 प्रतिशत आरक्षण देकर हमें नियमित करने पर सहमति दी थी। लेकिन नए एसीएस राधेश्याम जुलानिया ने तो मंत्री गोपाल भार्गव को दो महीने मामला समझने जैसा जवाब दे दिया है। वो तो 50 प्रतिशत आरक्षण देने को भी राजी नहीं हैं। हमें नहीं लगता कि प्रदेश सरकार हमारी मांग पूरी कर पाएगी। इसलिए हड़ताल पर जाने के सिवा दूसरा विकल्प नजर नहीं आ रहा है।
रोशन सिंह परमार, 
प्रदेश अध्यक्ष, 
ग्राम रोजगार सहायक कर्मचारी संघ, मप्र

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