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कांग्रेस ने कहा कि प्रदेश की करीब 400 गृह निर्माण सहकारी संस्थाओं में धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार, गड़बड़ियों की जिम्मेदार प्रदेश की सत्तारूढ़ भाजपा सरकार है। राजनेताओं, नौकरशाहों, भू-माफियाओं व सफेदपोश संगठित गिरोह राज्य सरकार के संरक्षण में इन गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को संरक्षण दे रहा है। इसी भ्रष्टाचार को छिपाए रखने के लिए मंत्री गोपाल भार्गव से सहकारिता विभाग की कमान छीनी गई है।
कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा ने कहा कि इन सहकारी संस्थाओं में सरकारी जमीनों, कृषि-भूमि पर अवैध कॉलोनी काटना, गृह निर्माण संस्थाओं के भूखंड पूरी धनराशि लेने के बाद भी सदस्यों को आवंटित नहीं करना, रजिस्ट्री नहीं करवाना, एक वैधानिक सदस्य की रजिस्ट्री हो जाने के बाद भी उसको कई नामों से अलग-अलग फर्जी रजिस्ट्रियां करा देने की घटना जहां आम बात हो चुकी है, वहीं इसके खिलाफ आवाज उठाने वाले नागरिकों पर प्राणघातक हमले, कॉन्ट्रैक्ट किलर से उनकी हत्या करवा देना तथा पुलिस व प्रशासन का दुरूपयोग कर उन्हें झूठे प्रकरणों में फंसाकर जेल भिजवा देने के मामले भी प्रकाश में आए हैं।
मध्य प्रदेश में 2179 गृह निर्माण सहकारी संस्थाएं हैं, जिनमें 1100 ऐसी संस्थाएं हैं, जिन्होंने सदस्यों के साथ धोखाधड़ी और 400 संस्थाओं ने हितग्राहियों के साथ प्लॉट आवंटन में भ्रष्टाचार व गड़बड़ी की है। इंदौर की 873, भोपाल 580, जबलपुर 190 और ग्वालियर में 236 गृह निर्माण सहकारी संस्थाओं में गड़बड़ी होने की बात गोपाल भार्गव ने विधानसभा में स्वीकार किया था। जब सरकार के पास इस बात के पुख्ता प्रमाण है तो पिछले 12 सालों में इन संस्थाओं की जांच व इनके खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज क्यों नहीं हुए। कांग्रेस का कहना है कि 12 नवम्बर 2003 को इस अध्याय को अधिनियम में पूर्व मंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक गोविंद सिंह ने ही शामिल करवाया था। लेकिन वर्ष 2003 के बाद न्यायालयीय आदेशों के बावजूद भी सरकार ने इस अध्याय का पालन नहीं करवाया।